Why Paush Month Not Good For Marriage? हिंदू पंचांग के अनुसार, हिंदी कैलेंडर के 10 वें महीने को पौष कहा जाता है. पौष माह में हेमंत ऋतु के प्रभाव से ठंड काफी ज्यादा रहती है. इसके अलावा यह पौष का महीना धार्मिक दृष्टि से बेहद खास होता है, इस कहा जाता है कि इस महीने में पूजा-पाठ और दान आदि करना सबसे शुभ होता है, ऐसा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य मिलता है. लेकिन पौष का महीना शादी-विवाह जैसे कार्यों को करने के लिए अशुभ माना जाता है, लेकिन ऐसा क्यों हैं, आइये जानते हैं यहां.
पौष मास में विवाह और ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य क्यों नहीं किए जाते?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पौष माह में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्का नए व्यवसाय या बड़े प्रोजेक्ट की शुरुआत जैसे कोई भी अन्य मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है, क्योंकि इस माह में ही सूर्य ग्रह धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिसकी वजह से खरमास की शुरुआत होती है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, खरमास की अवधि में सूर्य का शुभ प्रभाव बेहद कम हो जाता है और देवताओं की गतिविधियां स्थिर रहती हैं. इसी वजह से इस यह पूरा महीने शुभ कार्यों को करने के लिए के लिए अशुभ माना जाता है और विवाह जैसे मांगलिक कार्य करने से सुख-समृद्धि नहीं मिलती और रिश्तों में मधुरता भी कमी आती है, इसके अलावा खरमास में किए गे शुभ कार्य फलदायी नहीं होते हैं, ऐसे में आपको धन, रिश्ते व स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आ सकती हैं.
पौष का महीना है सुर्य देव और विष्णु जी की पूजा के लिए खास
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष का महीना साधना करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, खासकर सूर्य देव और विष्णु जी की उपासना, आध्यात्मिक शुद्धि, तप, और पितरों के तर्पण के लिए के लिए पौष का महीना बेहद लाभदायक होता है. कहा जाता है कि इस मास में सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति को 11 हजार रश्मियों के साथ ऊर्जा-स्वास्थ्य का वरदान मिलता है.
पौष मांह में सुर्य देव की पूजा: इस महीने में सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए, रोजाना सुबह उठकर उन्हें तांबे के लोटे से जल, अक्षत, फूल, रोली डालकर अर्घ्य देना चाहिए. इसके अलावा रोजाना आदित्य हृदय स्तोत्र या सूर्याष्टकम का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से आध्यात्मिक शुद्धि, ध्यान और आंतरिक शांति बनी रहती है मन स्थिर होता है और संकल्प शक्ति बढ़ती है. इसके अलावा आप पौष माह में रविवार के दिन व्रत रख सकते हैं, इससे शुभ फल मिलते हैं
पौष मांह में भगवान विष्णु की पूजा: पौष का महीना भगवान विष्णु की अराधना के लिए भी बेहद अच्छा माना जाता हैं. इस माह में सभी को श्री हरि के मंत्रों का जाप (जैसे ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’) का जाप करने चाहिए, साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी इस दौरान करना बेहद लाभदायक होता है. इसके अलावा पौष माह में तुलसी की पूजी करनी चाहिए, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु जी को सबसे ज्यादा प्रिय है, क्योंकि यह मां लक्ष्मी का रूप हैं. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है, चल रही परेशानिया खत्म होती है और जीवन में सफलता मिलती है.
पौष मांह में पितरों के दिन दान कर्म: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष का महीना पितरों के तर्पण के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है. इस महीने में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करना भी शुभ होता है. इस पवित्र महीने में गरिबों ओर जरूरतमेंदों को काला तिल, गुड़, कंबल, अन्न और गरम कपड़ों का दान करना चाहिए. ऐसा करने पुण्यकारी होता है. ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही जीवन में उन्नति होती है.
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