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मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्
20 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध पड़ रहा है और 21 तारीख से लेकर 6 अक्तूबर तक पितृपक्ष रहेगा। अक्सर इस अवधि में श्राद्ध के दिन परिवार के दिवंगत जनों को याद किया जाता है और उनका चित्र (Pictures of ancestors) पूजा अर्चना के समय रखा जाता है। कुछ लोग पूर्वजों के चित्रों को आल्मारी या बॉक्स में बंद कर के रख देते हैं और इन्हें ऐसे ही अवसर पर बाहर निकालते हैं।
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काफी घरों ओैर व्यापारिक स्थलों पर पूर्वजों की बड़ी बड़ी तस्वीरें या कहीं-कहीं उनकी मूर्तियां भी दिख जाती हैं। हमारे देश में बहुत से राजनेता अपने जीते जी ही अपनी मूर्तियां सार्वजनिक स्थानों पर लगवा देते हैं जो वास्तु नियमों के विपरीत होता है। घरों में भी पूर्वजों के चित्र यदि वास्तु नियमों के अनुसार रखे जाएं तो स्वर्गीय जनों का परिवार में सुख समृद्धि का आशीर्वाद बना रहता है। कुछ लोग आधुनिक गुरुओं के चित्र भी देवी-देवताओं के चित्रों के साथ रख देते हैं।
क्या पूर्वजों के चित्र दीवार पर लटकाएं या आदर सहित लकड़ी या ऐसे ही किसी स्टैंड पर रखें? आइये समझें वास्तु एवं शास्त्रसम्मत क्या है? पितरों की एक से अधिक तस्वीर ना लगाएं। घर के प्रवेश द्वार के सामने पितरों की तस्वीर नहीं लगाई जानी चाहिए। एक से अधिक तस्वीर लगाने से घर में नकारात्मकता आती है। कभी भी घर के मंदिर में पितरों की तस्वीर ना रखें। भगवान के साथ पितरों की तस्वीर घर में प्रतिकूल प्रभाव लेकर आती है।
शयन कक्ष और बैठक में पितरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शयन कक्ष और बैठक में पितरों की तस्वीर लगाने से घर के लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। कोशिश करें कि पितरों की तस्वीर ऐसी जगह ना लगाएं जहां घर से अंदर आते और बाहर जाते में आपकी नजर में पड़े। इससे कार्यों में अड़चनें पैदा हो सकती हैं। रसोई घर में पितरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। घर में पितरों की तस्वीर उत्तर दिशा में लगाई जानी चाहिए।
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माना जाता है कि पितरों की तस्वीर का मुख हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है। सभी पितृ दक्षिण दिशा में निवास करते हैं। इसलिए दक्षिण दिशा में भी पितरों की तस्वीर लगाई जा सकती है। शौचालय और स्नानघर के पास गलती से भी इनकी तस्वीर ना लगाएं। घर में पूर्वजों की फोटो कभी मध्य स्थान में कभी नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करने से मान-सम्मान की हानि होती है। इसके साथ ही पश्चिन या दक्षिण में लगाने से संपत्ति की हानि होती है।
पितरों की तस्वीर घर में सभी जगहों पर नहीं लगानी चाहिए। इसे शुभ नहीं माना जाता। इससे तनाव बना रहता है। कुछ लोग घर के मंदिर में भी पूर्वजों की लगा लेते हैं और पूजा करते हैं। शास्त्रों में पितरों का स्थान भले ही उच्च माना गया है, लेकिन पितरों और देवताओं का स्थान अलग होता है। माना जाता है कि पूजा घर में पितरों की तस्वीर लगाने से जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। घर-परिवार में अशांति छा सकती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितरों की फोटो को कभी भी घर के जीवित लोगों की तस्वीरों के साथ नहीं लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवित लोगों की आयु कम होती है और उनके जीवन पर संकट आने की आशंका बनी रहती है, इसके साथ ही व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में अपने पुरखों की तस्वीर को कभी भी लटका कर नहीं रखना चाहिए। तस्वीरों को हमेशा लकड़ी के स्टैंड पर ही रखना चाहिए। फोटो को लटकाना शुभ नहीं माना जाता है।
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