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India News (इंडिया न्यूज),Pitru Paksha 2024 Janeu Niyam: जनेऊ तीन धागों वाला एक धागा होता है, जिसे संस्कृत में यज्ञोपवीत के नाम से जाना जाता है। इसे धारण करने के कुछ विशेष नियम होते हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है। जनेऊ के तीन धागे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक हैं। इन्हें देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतीक भी माना जाता है। जनेऊ संस्कार विवाह से पहले किया जाता है, लेकिन पितृ पक्ष के दौरान जनेऊ पहनने वालों को शास्त्रों के अनुसार विशेष नियमों का पालन करना होता है।
पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है। मान्यता है कि इस दौरान पितर अपने परिजनों से मिलने धरती पर आते हैं। इस दौरान पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दौरान पितरों की तिथि के अनुसार पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध को लेकर कुछ महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं।
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पितृ पक्ष पूजा करने के लिए सभी पूजा सामग्री के साथ जनेऊ भी रखी जाती है। श्राद्ध पूजा में हाथ में चावल लेकर देवताओं और सप्त ऋषियों का स्मरण करके जनेऊ को अपने सामने रखें। उसके बाद दाहिने हाथ की अंगुलियों के अग्र भाग से तर्पण करें। उसके बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। फिर जनेऊ की माला बनाकर उसे धारण करें। उसके बाद पालथी मारकर बैठ जाएं। इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दाएं कंधे से बाएं कमर तक जनेऊ पहनी जाती है।
हिंदू धर्म के अनुसार जनेऊ को हमेशा मंत्र के साथ बाएं कंधे से दाएं कमर तक पहना जाता है। शौच के समय इसे दाएं कान पर दो बार लपेटा जाता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो इसे अशुद्ध माना जाता है। ऐसी स्थिति में शौच के तुरंत बाद जनेऊ बदल देना चाहिए। इसके अलावा श्राद्ध कर्म, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण करने के बाद यह अशुद्ध हो जाती है। इसलिए पुराने जनेऊ को उतारकर नया जनेऊ धारण करना चाहिए। यदि जनेऊ के तीन धागों में से एक भी टूट जाए तो उसे अशुद्ध माना जाता है। ऐसी स्थिति में भी जनेऊ बदल देना चाहिए।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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