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Surya Grahan Rules For Pregnant Women: हिंदू मान्यताओं और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) का समय अत्यंत संवेदनशील माना जाता है. शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है. खासतौर पर गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) पर इसका असर अधिक बताया गया है, इसलिए उन्हें कुछ विशेष नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है. हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इन मान्यताओं के अपने तर्क हैं, फिर भी आस्था और परंपरा के कारण लोग अब भी ग्रहण काल में नियमों का पालन करते हैं.
ग्रहण और सूतक काल का संबंध
ग्रहण लगने से लगभग 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय पूजा-पाठ, खाना बनाना और शुभ कार्यों के लिए वर्जित होता है. गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह और भी संवेदनशील माना जाता है क्योंकि उनके स्वास्थ्य और गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
गर्भवती महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
ग्रहण और सूतक काल के दौरान शास्त्रों में गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं:
1. घर से बाहर न निकलें – माना जाता है कि इस समय बाहर निकलने से नकारात्मक प्रभाव सीधे गर्भस्थ शिशु तक पहुंच सकता है.
2. तेज़ या नुकीले उपकरणों का प्रयोग न करें – जैसे चाकू, कैंची या सुई। यह परंपरा शारीरिक और आध्यात्मिक सुरक्षा से जुड़ी है.
3. रसोई और पूजा-पाठ से परहेज़ – इस दौरान खाना पकाना और धार्मिक अनुष्ठान करना वर्जित माना गया है.
4. सूर्य की सीधी किरणों से बचें – ग्रहण के दौरान सूर्य की किरणों को अशुद्ध माना जाता है। गर्भवती महिलाओं को उनसे दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है.
5. शरीर की सफाई संबंधी कार्य न करें – जैसे बाल या नाखून काटना. इसे अशुभ माना गया है.
6. नकारात्मक स्थानों से दूर रहें – भीड़भाड़, शोरगुल या मानसिक तनाव वाले वातावरण से दूरी बनाए रखना चाहिए.
21 सितंबर का सूर्य ग्रहण
इस वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात 10:59 बजे शुरू होगा और 22 सितंबर तड़के 01:12 बजे अपने चरम पर पहुंचेगा. हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इसी कारण सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा. यानी गर्भवती महिलाओं को किसी विशेष धार्मिक पाबंदी का पालन करने की आवश्यकता नहीं है.