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क्या बेटी के घर का पानी पीने से लग जाता है पाप? लड़की के मायके वाले जान ले सनातन धर्म का ये सच!

Pooja Mishra • LAST UPDATED : October 22, 2024, 4:22 pm IST
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क्या बेटी के घर का पानी पीने से लग जाता है पाप? लड़की के मायके वाले जान ले सनातन धर्म का ये सच!

Premanand Maharaj ji:क्या बेटी के घर का पानी पीने से लग जाता है पाप? लड़की के मायके वाले जान ले सनातन धर्म का ये सच!

India News (इंडिया न्यूज),Premanand Maharaj ji:हर व्यक्ति के मन में ढेर सारे सवाल होते हैं जिनका जवाब जानना उसके लिए बहुत कठिन हो जाता है और वह हमेशा ऐसे मे एक ऐसे व्यक्ति या संत-महात्मा की तलाश करते है जो उनके परेशानियों को समझ के एक सही निर्णय बता सके और उनका मार्गदर्शन कज सके। ताकि वे संतुष्टि प्राप्त कर सकें और जीवन और धर्म के सही पथ पर आगे बढ़ सकें।

ऐसे कई सारे लोग हैं जो अपने परेशानियों को प्रेमानंद जी महाराज जी से साझा करते है और अपने कठिन सवालो के आसान उत्तर पाते हैं।ऐसे ही एक दुविधा मे घिरी हुई बेटी ने महाराज जी से यह पूछा कि यदि माता-पिता अपनी बेटी के घर पानी पीते हैं, तो क्या वे वास्तव में इससे पाप के भागी बन जाते हैं?

इस प्रश्न का महाराज जी ने क्या उत्तर दिया?

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जिस भी भक्त को प्रेमानंद महाराज जी से मिलने का अवसर मिलता है वह उनसे मिलकर अपने सवालों का जवाब जानने की कोशिश करता है। महाराज जी आध्यात्मिक एवं सांसारिक प्रश्नों का उत्तर भी बहुत अच्छे से देते हैं। महाराज जी का सत्संग समाप्त होने के बाद एक महिला ने उनसे उनके सांसारिक जीवन से जुड़ा एक प्रश्न पूछा, जो यह था कि समाज में लोगों का मानना ​​है कि माता-पिता को अपनी बेटी के घर का पानी भी नहीं पीना चाहिए और यदि वे ऐसा करते हैं तो वे पाप के भागी बन जाते है.अपने सवाल को आगे बढ़ाते हुए महिला ने यह भी बताया कि उसकी मां की तबीयत ठीक नहीं है और वह अपनी मां की सेवा करना चाहती है, लेकिन पाप के डर से उसकी मां उसके घर नहीं आना चाहती, तो वह क्या करे?

महिला का सवाल सुनकर महाराज जी ने कहा कि “शास्त्रों में बेटे और बेटी में कोई अंतर नहीं है, सनातन धर्म की पवित्र भावना है कि इसमें महिला को पूजनीय माना जाता है, इसलिए लोग बेटी के घर में पानी पीने की अनुमति नही देते हैं। इसलिए इसे पाप के रूप मे माना जाता है, लेकिन मन में ऐसे विचार लाना ठीक नहीं है।क्योंकि बेटी को भी अपने माता-पिता की सेवा करने का उतना ही अधिकार है जितना बेटे को। अगर माता-पिता चाहें तो अपनी पूरी जिंदगी अपनी बेटी के घर में बिता सकते हैं, इसमें कोई दिक्कत नहीं है और अगर उसकी तबीयत खराब है तो उसकी सेवा करना बेटी का अधिकार और कर्तव्य दोनों है”।

परम धर्म ही माता-पिता की सेवा है

महिला के सवालों का जवाब देते हुए महाराज जी ने यह भी कहा कि “वर्तमान समय में माता-पिता अपने अंतिम दिन बिता रहे हैं और उनके बच्चे संपत्ति को लेकर आपस में लड़ते रहते है।ऐसे युग में यदि कोई बच्चा अपने माता-पिता की सेवा करने के लिए उत्सुक दिखता है तो यह बहुत खुशी की बात है और हर बच्चे को यह समझना चाहिए कि अपने माता-पिता की सेवा करना उसका परम धर्म है”।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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