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Premanand Maharaj: क्या मिलावटी प्रसाद खाने से बिगड़ता है धर्म? प्रेमानंद महाराज ने दिया चौंकाने वाला जवाब

Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने बताया कि प्रसाद सिर्फ खाना नहीं, बल्कि भगवान की कृपा का एक रूप होता है. इसलिए, इसका सम्मान करना चाहिए.

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: November 30, 2025 15:26:52 IST

Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में कुछ संत प्रेमानंद महाराज से पूछते हैं कि  आज कुछ धार्मिक जगहों पर चिकनाई या अशुद्ध प्रसाद मिलता है जिसको खाने से हमारा धर्म सच में खराब हो गया है. प्रेमानंद महाराज जवाब देते हैं कि जब हम आजकल यज्ञ करते हैं, तो सनातन परंपराओं की कई बातें अक्सर खो जाती हैं. कई जगहों पर जाति-पाति का भेदभाव भी आम है, जबकि वैदिक परंपरा सबको साथ लेकर चलने और शुद्ध बुद्धि की वकालत करती है.

शुद्धता जरूरी है

वेदों को बनाए रखने के लिए खान-पान और विचारों की शुद्धता जरूरी है, लेकिन आज ज्यादातर चीजें केमिकल और मिलावट की वजह से अशुद्ध मानी जाती हैं, चाहे वह अनाज हो, घी हो या दूध. इसीलिए बहुत से लोग यज्ञ सामग्री की शुद्धता को लेकर परेशान रहते हैं. हालांकि, असल में, सबसे जरूरी आधार भावना है. अगर हमारे देवता को जो कुछ भी चढ़ाया जाता है, वह प्रसाद के रूप में वापस आता है, तो उसे प्रसाद ही माना जाता है, न कि सिर्फ़ लड्डू या कोई और चीज. प्रसाद का सम्मान उसकी भावना में होता है, न कि उसकी सामग्री में. जैसा कि गोपियों और दुर्वासा मुनि की कहानी से पता चलता है, महान लोग भावनाओं से प्रभावित नहीं होते. वे इच्छाहीन होते हैं, और उनका आचरण दुनिया के नियमों से ऊपर होता है.

ठाकुरजी को भोग पहले ही लगाया जा चुका है

प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि ठाकुरजी को भोग पहले ही लगाया जा चुका है, इसलिए जो हमें मिलता है वह सिर्फ प्रसाद है. इसमें क्या था और यह कैसे बना, इस पर शक करना प्रसाद के सार का अपमान है. भले ही कोई कहे कि यह अशुद्ध था, फिर भी हमें प्रसाद का आनंद लेना चाहिए, क्योंकि यह हमारे देवता की कृपा का एक हिस्सा है. प्रसाद के ‘शुद्धिकरण’ की बात करना उसके दिव्य स्वरूप को कम करना है.

महाराज जी आगे कहते हैं कि सावधान रहना और किसी भी तरह की मिलावट या धोखाधड़ी से बचना जरूरी है, क्योंकि यह आस्था और धर्म के खिलाफ़ अपराध है. लेकिन, जहां प्रसाद की भावना है, वहां भ्रष्टाचार का सवाल ही नहीं उठता. प्रसाद पर हमारा ध्यान सिर्फ आस्था और भक्ति पर होना चाहिए. इसी में इसकी पूरी महिमा है.

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