Premanand Maharaj: आजकल लोग भक्ति भी मॉडर्न रूप से करने लगे हैं. चाहे चार धाम यात्रा हो या ज्योतिर्लिंगों के दर्शन…जब आप ऐसी जगहों पर जाते हैं, तो आस-पास के दुकानदार पूजा की दूसरी चीजों के साथ मंत्र लिखे कुर्ते बेचते हैं. कुछ पर ॐ लिखा होता है, कुछ पर ॐ नमः शिवाय. कुछ पर तो गायत्री मंत्र भी लिखा होता है. लोग इन कुर्तों को बड़े खुशी-खुशी पहनते हैं, लेकिन क्या वैदिक मंत्रों वाले कुर्ते पहनना सही है? या मॉडर्न भक्ति के इस जमाने में लोग सिर्फ दिखावे के पीछे भाग रहे हैं? अपने एक प्रवचन के दौरान, वृंदावन के मशहूर संत, प्रेमानंद महाराज ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी.
मंत्रों वाला कुर्ता नहीं पहनना चाहिए
प्रेमानंद महाराज ने इस विषय पर अपने प्रवचन के दौरान कहा कि हम अनुरोध करते हैं कि ऐसे कपड़े न पहनें. इन कलियुग के लोगों ने ऐसा करना शुरू कर दिया है, लेकिन यह सही नहीं है. उन पर लिखे मंत्र वैदिक मंत्र हैं जो हमारे दिल में लिखे होने चाहिए, कपड़ों पर नहीं, और उन्हें बाहर नहीं पढ़ना चाहिए. ये मंत्र गुरु से, अंदर ही अंदर जपे जाते हैं. आजकल लोग जो कीर्तन करते हैं – बारह अक्षर का मंत्र, पांच अक्षर का मंत्र ये सब अशुभ हैं. भगवान का नाम जपना शुभ है. मंत्र मन में जपा जाता है, बोलकर नहीं. कीर्तन का क्या मतलब है, लेकिन अज्ञानता बढ़ रही है.
कीर्तन का आयोजन करना सही नहीं है
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि जो लोग आजकल कीर्तन का आयोजन करते हैं, वे भी गलत हैं. उनका कहना है कि कलियुग का प्रभाव बढ़ रहा है. गायत्री मंत्र, शिव मंत्र, वासुदेव मंत्र… ये सब जपे जाते हैं. यह एक भ्रष्ट करने वाला काम है. लोगों को लगता है कि यह अच्छा है, लेकिन यह सच नहीं है. ऐसे कीर्तन में इन मंत्रों का जाप बिल्कुल नहीं करना चाहिए. यह एक अशुभ काम है.