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बरसा था कुदरत का कहर, मौत के वक्त छटपटा रहे थे पैगंबर मोहम्मद, दर्दनाक मृत्यु के पीछे इस महिला का हाथ!

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : January 9, 2025, 10:39 am IST
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बरसा था कुदरत का कहर, मौत के वक्त छटपटा रहे थे पैगंबर मोहम्मद, दर्दनाक मृत्यु के पीछे इस महिला का हाथ!

Death of Paigambar Mohammed: बरसा था कुदरत का कहर

India News (इंडिया न्यूज), Death of Paigambar Mohammed: पैगम्बर मुहम्मद एक अरब धार्मिक और सामाजिक नेता और इस्लाम के संस्थापक थे। इस्लामी दर्शन के अनुसार, वह अल्लाह की शिक्षाओं को फैलाने के लिए अल्लाह द्वारा भेजे गए एक पैगम्बर थे। इस्लाम के संस्थापक और कुरान के उपदेशक पैगंबर की मौत को लेकर कई सिद्धांत हैं। कुछ का कहना है कि उनकी मौत स्वाभाविक थी जबकि कुछ, खासकर शिया मुसलमान, मानते हैं कि पैगंबर की मौत जहर खाने से हुई थी। पैगंबर को एक यहूदी महिला ने जहर दिया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी

मौत का क्या है कारण

कहा जाता है कि पैगंबर मुहम्मद को अल्लाह का ज्ञान मिलने से लेकर उनकी मौत तक उन पर कई बार हमले हुए। इस्लामी ग्रंथों में इसके कई प्रमाण मिलते हैं। साथ ही ऐतिहासिक साहित्य से भी यह बात पता चलती है। पैगंबर पर सबसे बड़ा हमला एक महिला ने किया था। इस हमले की वजह से उनकी मौत स्वाभाविक नहीं मानी जाती।
साल 629 में पैगंबर ने इस्लाम फैलाने के लिए अरब के एक इलाके खैबर पर हमला किया था। खैबर को जीतने की लड़ाई में कई यहूदियों की जान चली गई थी। यह लड़ाई मुसलमानों और यहूदियों के बीच हुई थी। इस लड़ाई में पैगंबर की जीत हुई लेकिन कई महिलाओं के परिवार बर्बाद हो गए। इन्हीं महिलाओं में से एक थीं ज़ैनब बिंत अल हरीद। ज़ैनब अपने परिवार की हत्या का बदला लेना चाहती थी। हदीस और सीरा में इस घटना का ज़िक्र है कि उनकी मौत की वजह ज़हरीला मांस था।

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छटपटा रहे थे पैगंबर मुहम्मद

सुन्न अबू दाऊद हदीस संख्या 4512 में ज्ञात है कि ज़ैनब ने एक बकरा मारा, उसमें ज़हर मिलाया और पैगम्बर को खिला दिया। ज़ैनब ने सोचा कि अगर पैगम्बर इस ज़हर से मर जाते हैं तो वे एक साधारण इंसान हैं और अगर नहीं मरते हैं तो उन्हें अल्लाह ने भेजा है।पैगम्बर ने उस मांस को चखा। वे 4 साल तक दर्द में रहे। पैगम्बर जानते थे कि उस महिला ने उन्हें ज़हर दिया है लेकिन फिर भी उन्होंने उसे माफ़ कर दिया। हकीमों ने भी उनके लिए कई उपाय किए लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए। पैगम्बर मुहम्मद के अंतिम दिनों में उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी। वे अपने आस-पास के लोगों पर भी शक करने लगे। एक बार उन्हें आयशा पर भी शक हुआ क्योंकि आयशा ने उन्हें दवा दी थी।

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