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रावण ने मौत से पहले अपने सर्वनाशी के भाई को ही दे डाले थे 5 मूल मंत्र, अगर आपने भी अपना लिए ये उपदेश, तो सफलता खुद दौड़ी चली आएगी आपके पास!

Preeti Pandey • LAST UPDATED : October 27, 2024, 9:52 am IST
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रावण ने मौत से पहले अपने सर्वनाशी के भाई को ही दे डाले थे 5 मूल मंत्र, अगर आपने भी अपना लिए ये उपदेश, तो सफलता खुद दौड़ी चली आएगी आपके पास!

Ravana’s advice to Laxman: रावण ने मौत से पहले अपने सर्वनाशी के भाई को ही दे डाले थे 5 मूल मंत्र

India News (इंडिया न्यूज), Ravana’s advice to Laxman: यह तो सभी जानते हैं कि रावण एक राक्षस कुल का राजा था, जो अत्यंत शक्तिशाली, पराक्रमी योद्धा और भगवान शिव का परम भक्त था। लेकिन इसके साथ ही वह शास्त्रों का प्रकांड ज्ञाता, महापंडित और महाज्ञानी भी था। जब धरती पर उसके पाप बढ़ गए तो भगवान विष्णु ने राम के रूप में धरती पर जन्म लेकर उसका नाश किया। तब मरने से पहले रावण ने भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण को कुछ सलाह दी थी, जो आज के समय में भी लोगों के लिए सफलता की कुंजी है।

जब लक्ष्मण उपदेश लेने पहुंचे

जब रावण मृत्यु की ओर जा रहा था, तब भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा कि नीति, राजनीति और शक्ति का एक महान विद्वान इस संसार से विदा ले रहा है, तुम उसके पास जाओ और उससे जीवन के कुछ ऐसे पाठ सीखो जो कोई और नहीं दे सकता। राम जी की बात मानकर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के सिर के पास जाकर खड़े हो गए। लक्ष्मण काफी देर तक रावण के सिर के पास खड़े रहे, लेकिन रावण ने उनसे कुछ नहीं कहा। इसके बाद लक्ष्मण वापस लौटे और भगवान श्रीराम को सारी बात बताई।

तब भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा कि अगर तुम्हें किसी से ज्ञान प्राप्त करना है तो उसके सिर के पास नहीं बल्कि उसके पैरों के पास खड़ा होना चाहिए। यह सुनकर लक्ष्मण वापस रावण के पास गए और उसके पैरों के पास खड़े हो गए। उस समय महापंडित रावण ने लक्ष्मण को 5 ऐसी बातें बताईं जो जीवन में सफलता की कुंजी हैं।

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कौन से हैं वो 5 उपदोश

रावण की पहली सलाह थी कि व्यक्ति को कभी भी अपने शत्रु को खुद से कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि कई बार जिसे हम कमजोर समझते हैं, वह हमसे ज्यादा शक्तिशाली साबित होता है।

दूसरी सलाह थी, ‘कभी भी अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। अभिमान व्यक्ति को ऐसे तोड़ देता है जैसे दांत सुपारी को तोड़ देते हैं।’

रावण की तीसरी सलाह थी, ‘हमेशा अपने शुभचिंतकों की बात सुननी चाहिए, क्योंकि कोई भी शुभचिंतक अपने लोगों का बुरा नहीं चाहता।’

चौथी सलाह थी, ‘हमें हमेशा अपने मित्र और शत्रु की पहचान करनी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि जिसे हम अपना मित्र मानते हैं, वह हमारा शत्रु बन जाता है और जिसे हम पराया मानते हैं, वह वास्तव में हमारा अपना होता है।

रावण की पांचवीं और सबसे अच्छी सलाह थी, ‘हमें कभी भी दूसरे की स्त्री पर बुरी नज़र नहीं डालनी चाहिए, क्योंकि दूसरे की स्त्री और बुरी नज़र डालने वाला व्यक्ति दोनों ही नष्ट हो जाते हैं।’

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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