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India News (इंडिया न्यूज़), Raja Saheb Gurudwara: आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पंजाब में एक ऐसा गुरुद्वारा है जहां हवाई जहाज चढ़ावे में चढ़ाई जाती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं जालंधर के मजारा नौ आबाद गांव में रसोखाना श्री नाभ कंवल राजा साहब जी गुरुद्वारे की। जिसे लोग ‘राजा साहब’ के नाम से जानते हैं।
यह ऐसा गुरुद्वारा है जहां लोग विदेशों से माथा टेकने आते हैं। दरअसल, ‘राजा साहब’ गुरुद्वारा NRI गढ़ में बना है। इस गुरुद्वारे के आसपास के सभी गांव NRI हैं यानी यहां के सभी लोग विदेशों में रहते हैं और काम करते हैं। जब भी NRI अपने गांव आते हैं राजा साहब जरूर आते हैं साथ ही चढ़ावे में सोना और हीरे जवाहरात चढ़ाते हैं। पूरा NRI माहौल होने के कारण यहां रहने वाला हर व्यक्ति विदेश जाना चाहता है। जिसे लेकर लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं और चढ़ावे में हवाई जहाज चढ़ाते हैं।
इस गुरुद्वारे का गुंबद सोने से ढ़का हुआ है। लोग बताते हैं इसमें करीब 30 किलो सोना लगा हुआ है। वहीं इसके अंगीठा साहिब यानी जहां लोग माथा टेकते हैं वह पूरी तरह से सोने का बना हुआ है। अंगीठा साहिब में लगभग 35 किलो सोने से बना हुआ है। गुरुद्वारे शानदार लंगर का आयोजन किया जाता है। इस गुरुद्वारे की रसोईं पूरी तरीके से हाई टेक है। यहां मात्र पांच मिनट के अंदर 500 लीटर चाय बनाई जाती है। यात्रियों के ठहरे के लिये 70 कमरे बने हुए हैं।
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राजा साहिब जी का जन्म ग्राम बुल्लोवाल (उनके ननिहाल) में हुआ था। उनकी माता का नाम साहिब देवी और पिता मंगल दास था, जो शुरू से ही संत विभूतियों की सेवा और सम्मान करते थे। चूंकि उनकी कोई संतान नहीं थी इसलिए वे स्वयं एक सच्चे साधु की तरह जीवन व्यतीत करते थे। एक दिन जब मंगल दास जी गहरे ध्यान में थे, तो उन्हें एक दिव्य दर्शन हुआ और उन्होंने दिव्य कहते हुए सुना, तुम्हें एक पुत्र का आशीर्वाद मिलेगा।
वह अगले भगवान की तरह होंगे, जो पीड़ितों और कुचले हुए लोगों के दुखों को साझा करेंगे और इस तरह पूरी दुनिया उन्हें याद रखेगी। राजा साहब को घरेलू काम-काज में कम ही रुचि रहती थी। भगवान की पूजा करना, साधु-संतों का साथ देना, भूखों को खाना खिलाना और भगवान के कार्यों में लगे रहना ही उनका उद्देश्य था। राजा साहब के बारे में कई चमत्कार भी मसहूर हैं।
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