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Ramayana: कितने वर्षो तक जिया था रावण? दसवें शीश से पहले क्यों प्रकट हुए थे ब्रह्मा जी?

Prachi Jain • LAST UPDATED : July 22, 2024, 8:45 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Ravana’s Death: रावण के बारे में और जानकारी देने के लिए, संस्कृत में लिखी गई महाकाव्य “रामायण” महत्वपूर्ण है। रावण दानवों के राजा थे और वे भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान राम के प्रति बड़ी विरोधी थे। उनका विजय रामायण में वर्णित है, जब भगवान राम ने उन्हें लंका से पराजित किया। रावण को उनकी अहंकारी, दुराचारी, और राक्षसी प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है।

ब्रह्मा जी के प्रकट होने के संबंध में, उनके दसवें शीश से पहले प्रकट होने के पीछे कई कारण हैं जो विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में उल्लिखित हैं। उनके प्रकट होने से पूर्व ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड की रचना और संरचना की थी और इसलिए उनका प्रकट होना सृष्टि के निर्माण में महत्वपूर्ण था। रामायण महाकाव्य में रावण की कहानी बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह कहानी भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान राम के जीवन के चरणों में विकसित हुई।

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रावण की जन्म:

रावण का जन्म विश्रवा राक्षस और केकसी नामक एक दानव के घराने में हुआ था। विश्रवा का एक और पुत्र था, जिनका नाम विभीषण था। रावण बहुत ही प्रवीण और बुद्धिमान था, और उसकी शक्ति और तेज भी अद्वितीय थी। उसने अपने तपस्या और पराक्रम से लंका की स्थापना की थी और उसे राजधानी बनाया था।

रावण का ब्रह्मा जी से वर प्राप्त करना:

रावण ने अपनी ब्रह्मा जी की तपस्या से प्राप्त की थी, जिससे उसको अमरत्व और अजेयता प्राप्त हुई थी। ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से रावण को उन्होंने शक्तियां दीं थीं, जिसके कारण वह असीम राक्षसी ताकत वाला हो गया था।

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राम और रावण का विवाद:

राम और रावण का पहला संबंध पंचवटी में हुआ था, जहां राम ने रावण के बहुमूल्य बेटे मेघनाद को जीत लिया था। इसके बाद रावण ने सीता को हरण किया और लंका में उसे बंदी बनाया रखा। इस प्रकार, रावण और राम के बीच महायुद्ध का आरंभ हुआ, जिसमें भगवान राम ने रावण को अंतिम रूप से मार डाला।

रावण की अंतिम घटना:

रावण की विजय के बाद, राम ने भगवान हनुमान के माध्यम से विभीषण को लंका का राजा बनाया। रावण के अंत के समय उसने ब्रह्मा और शिव जी की क्षमा मांगी, लेकिन उन्होंने भगवान राम से मानवीयता की मांग की और उन्हें मार डाला गया। रावण की विनाशकारी गतिविधियों का महाकाव्य रामायण में उत्कृष्ट रूप से वर्णन किया गया है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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