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Rameshwaram Jyotirlinga: रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा शत्रुओं पर दिलाती है विजय, श्री राम ने की इसकी स्थापना

Mudit Goswami • LAST UPDATED : July 14, 2023, 9:08 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Rameshwaram Jyotirlinga: दक्षिण भारत में स्थित तमिलनाडु राज्य में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, सबसे प्रतिष्ठित पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है। यह पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग शिव का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और उसे शत्रुओं पर विजय दिलाने का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। जहां भगवान शिव ने स्वयं अपनी दिव्य उपस्थिति का लिंगम स्थापित किया था।

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम के पिता राजा दशरथ की पत्नी कैकेयी ने उनसे दो वरदान मांगे थे। उन्होंने कहा था कि वो दो वरदान जब उनका मन करे उस समय पर उपयोग करना चाहती हैं। एक वरदान के तहत, कैकेयी ने अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाने की मांग की थी। दूसरे वरदान के तहत, उन्होंने कहा था कि राम को वनवास जाना होगा और उसे 14 वर्ष तक वन में जीवन बिताना होगा। राजा दशरथ ने इन मांगों को स्वीकार कर दिया।

कहा जाता है कि लंका युद्ध के समय भगवान राम ने अपने शक्तिशाली धनुष से एक शक्तिशाली बाण चलाया था। जिसने रावण के राजमहल को नष्ट कर दिया था। लंका के नष्ट होने के बाद, भगवान राम और माता सीता अपनी वापसी के लिए भारत में लौट रहे थे। उन्होंने अपने भक्त हनुमान को शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का आदेश दिया।

रामेश्वरम में ज्योतिर्लिंग की स्थापना

हनुमान ने अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए अपने पास से एक ब्रह्मा राक्षस शक्ति लिए और उसे रामेश्वरम के तट पर छोड़ दिया। यह राक्षस शक्ति रामेश्वरम के स्थान पर भगवान शिव का रूप ले लेती है। इस तरह, रामेश्वरम में ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई और यहां भगवान शिव की पूजा की जाने लगी।

भगवान राम, भाई लक्क्षण , माता सीता और भक्त हनुमान ने वनवास में समय बिताया। उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में यात्रा की और भक्तों का आदर्श बनाया। उनकी गर्दन पर सदैव शिव का आभूषण, एक माणिक्य रत्न का हार, सदैव चमकता रहा।

ये है आध्यात्मिक महत्व

ज्योतिर्लिंग की पूजा मान्यताओं के अनुसार उसके द्वारा शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इसलिए, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा विशेष रूप से शत्रुओं के विनाश और सुरक्षा के लिए की जाती है। यहां परंपरागत रूप से रात्रि में देवों की पूजा की जाती है और उन्हें शिव के विशेष मंत्रों द्वारा प्रसन्न किया जाता है।

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