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Rang Panchami 2024: रंग पंचमी के दिन श्री राधा-कृष्ण को ऐसे करें प्रसन्न, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

BY: Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : March 27, 2024, 9:00 pm IST
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Rang Panchami 2024: रंग पंचमी के दिन श्री राधा-कृष्ण को ऐसे करें प्रसन्न, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

Rang Panchami 2024

India News (इंडिया न्यूज़), Rang Panchami 2024: रंग पंचमी का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व होली के बाद पांच दिन पड़ता है। इस बार रंग पंचमी 30 मार्च को है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा जी और गोपियों के संग होली खेली थी। इसलिए इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की विशेष पूजा की जाती है और देवी- देवता को गुलाल अर्पित किया जाता है।

अगर आप श्री कृष्ण और राधा जी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो रंग पंचमी के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की विधिपूर्वक पूजा और अंत में आरती अवश्य करें। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण की आरती करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

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आरती कुंजबिहारी की आरती

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,

बजावै मुरली मधुर बाला ।

श्रवण में कुण्डल झलकाला,

नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली,

राधिका चमक रही आली ।

लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलक,

कस्तूरी तिलक,

चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

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कनकमय मोर मुकुट बिलसै,

देवता दरसन को तरसैं ।

गगन सों सुमन रासि बरसै ।

बजे मुरचंग,

मधुर मिरदंग,

ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

 

जहां ते प्रकट भई गंगा,

सकल मन हारिणि श्री गंगा ।

स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,

जटा के बीच,

हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

 

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,

बज रही वृंदावन बेनू ।

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद,

चांदनी चंद,

कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

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