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India News (इंडिया न्यूज), Ravan’s Bad Habit: त्रेतायुग में लंकापति रावण एक अत्यंत शक्तिशाली और बुद्धिमान राक्षस था। उसके पास अद्वितीय ज्ञान और अपार शक्ति थी, और वह शास्त्रों में गहरी समझ रखता था। लेकिन उसकी कई बुरी आदतें उसकी अच्छाइयों पर भारी पड़ीं और उसके अंत का कारण बनीं। रावण के अनेक दोष थे, जिनसे उसकी पत्नी मंदोदरी को भी गहरी पीड़ा होती थी। रावण की इन बुराइयों और उनमें छिपे अहम कारणों को समझना आवश्यक है, ताकि हम उसके पतन की वास्तविकता को समझ सकें।
रावण को अपने ज्ञान और शक्तियों का अत्यधिक घमंड था। उसने नवग्रहों को अपने नियंत्रण में कैद कर रखा था ताकि वे उसकी आज्ञा का पालन करें। यही घमंड उसके पतन का कारण बना, क्योंकि उसने अपने ज्ञान और शक्ति को अन्याय के लिए इस्तेमाल किया। उसके अंहकार ने उसे भगवान राम के प्रति भी सम्मान नहीं रखने दिया, हालांकि वह जानता था कि वे भगवान विष्णु के अवतार हैं।
रावण का व्यक्तित्व बदले की भावना से भरा हुआ था। अपने अपमान का बदला लेने के लिए उसने सीता का अपहरण किया, जिससे लंका का विनाश हुआ। इस बदले की भावना ने उसे यह सोचने का मौका भी नहीं दिया कि उसके इस कार्य से उसके राज्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उसके लिए उसका स्वाभिमान और बदले की भावना लंका और उसके परिवार से बढ़कर हो गई थी।
रावण का सबसे बड़ा दोष यह था कि उसने स्त्रियों का अनादर किया। उसने सीता माता का अपहरण किया और उन्हें अपने अधिकार में रखने की कोशिश की। यह कार्य उसकी पत्नी मंदोदरी को भी अत्यधिक कष्टदायी लगा, क्योंकि रावण का यह कृत्य नारी का अपमान था। स्त्रियों के प्रति उसके अनादर ने उसे अधर्मी बना दिया, जो अंततः उसके विनाश का एक मुख्य कारण बना।
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रावण में संयम की कमी थी और वह अत्यधिक क्रोधी था। उसे किसी भी प्रकार की असहमति बर्दाश्त नहीं थी, और उसने अपने क्रोध के वश में आकर कई निर्दोषों को कष्ट दिया। यही क्रोध और संयमहीनता उसके पतन का कारण बनी। वह अपनी शक्ति के मद में चूर था, जिसके चलते उसने अपनी शक्ति का उपयोग गलत दिशा में किया।
रावण की एक और बड़ी कमजोरी यह थी कि उसने अपने प्रियजनों की बातों को नजरअंदाज किया। मंदोदरी और विभीषण जैसे उसके परिजनों ने उसे समय-समय पर चेताया था कि वह भगवान राम से शांति बनाए रखे और माता सीता को लौटा दे। लेकिन रावण ने अपने अंहकार में उनकी बातों को अनसुना कर दिया, और इसका परिणाम उसे अपने जीवन के अंत में भुगतना पड़ा।
रावण ने नैतिकता और धर्म को त्याग दिया था। वह अपने लाभ के लिए किसी भी प्रकार का अन्याय करने से नहीं हिचकिचाता था। उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और धर्म का उल्लंघन किया। धर्म का यह त्याग उसके विनाश का एक अन्य कारण बना, क्योंकि उसने अधर्म के मार्ग पर चलकर अधर्म का ही साथ दिया।
रावण के पतन की मुख्य वजह उसकी बुराइयों का उसके गुणों पर भारी पड़ना था। घमंड, क्रोध, स्त्रियों का अनादर, बदले की भावना, और अपनों की बात को नजरअंदाज करने जैसी बुरी आदतों ने उसकी अच्छाइयों को दबा दिया। उसका जीवन इस बात का उदाहरण है कि चाहे कितनी भी शक्ति और ज्ञान क्यों न हो, यदि उनका सही दिशा में उपयोग न हो, तो उनका विनाश निश्चित है। रावण का पतन हमें सिखाता है कि धर्म, संयम और नैतिकता को बनाए रखना अति आवश्यक है, अन्यथा शक्ति और ज्ञान का कोई महत्व नहीं रह जाता।
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