होम / सैंकड़ों साल जीने के बाद भी अधूरी रह गई थी रावण की ये 5 बड़ी इच्छाएं, अगर हो जाती पूरी तो तबाही ही…?

सैंकड़ों साल जीने के बाद भी अधूरी रह गई थी रावण की ये 5 बड़ी इच्छाएं, अगर हो जाती पूरी तो तबाही ही…?

Prachi Jain • LAST UPDATED : September 21, 2024, 3:15 pm IST

Ravan’s Wishes: रावण की इच्छाएं इस बात का प्रमाण हैं कि ज्ञान और शक्ति के बावजूद, वह अपनी इच्छाओं और अभिलाषाओं में असफल रहा।

India News (इंडिया न्यूज), Ravan’s Wishes: रामायण में रावण का चरित्र सिर्फ एक दुश्मन के रूप में नहीं, बल्कि एक जटिल और बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वह एक महाज्ञानी और शक्तिशाली असुर था, जिसने हजारों वर्षों तक जीवन बिताया। लेकिन उसका ज्ञान और शक्ति, जो उसे महान बनाती थीं, अंततः उसके पतन का कारण बन गईं। आइए जानते हैं रावण की उन अधूरी इच्छाओं के बारे में, जो उसकी जटिलता को और भी गहरा करती हैं।

पूर्ण न हो सकी रावण की ये इच्छाएं:

1. स्वर्ग के लिए सीढ़ियां

रावण की एक महत्वपूर्ण इच्छा थी कि वह धरती से स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ियां बनाए। उसका सपना था कि लोग उसे भगवान मानें और उसकी बनाई सीढ़ियों पर चढ़कर मोक्ष प्राप्त करें। यह उसकी इच्छा का प्रतीक था कि वह मानवता के लिए एक मार्ग प्रशस्त करना चाहता था, लेकिन उसका अहंकार और ईर्ष्या इस सपने को पूरा नहीं होने दे सके।

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2. संतान की मृत्यु का दर्द

रावण चाहता था कि किसी भी पिता को अपनी संतान की मृत्यु का दर्द न सहना पड़े। यह उसकी एक मानवीय इच्छा थी, जो यह दर्शाती है कि उसके दिल में भी भावनाएं थीं। लेकिन उसका स्वयं का जीवन इस बात का उदाहरण था कि उसने अपने परिवार के सदस्यों के प्रति किस तरह की लापरवाही दिखाई।

3. सोने की सुगंध

रावण को सोने से बेहद प्यार था, और वह चाहता था कि सोने से सुगंध आए। इस इच्छा का एक गहरा अर्थ है—वह चाहता था कि सोने की पहचान आसानी से हो सके, ताकि वह उसे पाने में आसानी कर सके। यह उसके भौतिक प्रेम और भौतिकता की प्रतीक है, जो उसके ज्ञान को भुला देती है।

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4. समुद्र का मीठा जल

रावण की एक और इच्छा थी कि समुद्र के जल को मीठा किया जाए। वह चाहता था कि समुद्र का जल पीने योग्य हो, ताकि लोग इसे आसानी से उपयोग कर सकें। यह इच्छा उसकी मानवता की ओर भी इशारा करती है, लेकिन वह अपने स्वार्थ और लालच में इतना डूबा था कि इस पर विचार नहीं कर सका।

5. मानवों का रंग

रावण की एक अजीब इच्छा थी कि सभी मानवों का रंग सांवला हो जाए। इसका उद्देश्य था कि कोई भी महिला उसका अपमान न कर सके। यह उसके अहंकार और समाज में अपनी स्थिति बनाए रखने की कोशिश को दर्शाता है।

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निष्कर्ष

रावण की इच्छाएं इस बात का प्रमाण हैं कि ज्ञान और शक्ति के बावजूद, वह अपनी इच्छाओं और अभिलाषाओं में असफल रहा। उसका जीवन यह सिखाता है कि अहंकार और स्वार्थ कभी-कभी सबसे महान व्यक्तियों को भी गिरा सकते हैं। रावण का चरित्र हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में सच्ची महानता केवल ज्ञान और शक्ति में नहीं, बल्कि हमारी इच्छाओं और मानवता के प्रति हमारे दृष्टिकोण में भी होती है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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