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हनुमान जी की छोटी उंगली से क्यों कांपता था रावण का बेटा? जब दशानन को पता चला तो हुआ कुछ ऐसा, वहीं खत्म होने वाला था पापी

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : October 11, 2024, 8:58 am IST
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हनुमान जी की छोटी उंगली से क्यों कांपता था रावण का बेटा? जब दशानन को पता चला तो हुआ कुछ ऐसा, वहीं खत्म होने वाला था पापी

Ravna’s Punch: हनुमान जी की छोटी उंगली से क्यों कांपता था रावण का बेटा?

India News (इंडिया न्यूज), Ravna’s Punch: हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जो अमर हैं। उन्हें वरदान मिला है कि कलियुग भी हनुमान जी की शरण में आने वाले भक्त का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। हनुमान जी उन लोगों के संकट दूर करते हैं जो पूरी श्रद्धा से हनुमान जी की पूजा करते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको हनुमान जी से जुड़ी एक रोचक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। आमतौर पर हनुमान जी युद्ध में गदा का प्रयोग नहीं करते थे, बल्कि मुट्ठी का प्रयोग करते थे। रामचरितमानस में हनुमान जी को “महावीर” कहा गया है। शास्त्रों में “वीर” शब्द का प्रयोग कई लोगों के लिए किया गया है। जैसे भीम, भीष्म, मेघनाथ, रावण आदि। लेकिन “महावीर” शब्द का प्रयोग केवल हनुमान जी के लिए ही किया जाता है।

जब खुद को ही मारने के लिए उकसाया

शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी की सबसे छोटी उंगली में 10,000 इंद्रों का बल है। इस प्रसंग के अनुसार रावण का पुत्र मेघनाथ हनुमान जी के मुक्के से बहुत डरता था। जब रावण ने हनुमान जी के बारे में यह सुना तो उसने हनुमान जी से कहा, “आपका मुक्का बहुत शक्तिशाली है, आओ और मुझ पर भी आजमाओ, मैं एक बार तुम्हें मुक्का मारूंगा और तुम मुझे मुक्का मारो।” तब हनुमानजी ने कहा “ठीक है! तुम पहले मारो।” रावण ने कहा “मैं क्यों मारूँ? तुम पहले मारो।”

हनुमान ने कहा “तुम पहले मारो क्योंकि अगर मैं तुम्हें मुक्का मारूँगा तो तुम मार नहीं पाओगे।” इसके बाद रावण ने हनुमानजी को पहले मुक्का मारा। इस घटना की पुष्टि इस चौपाई से होती है “पवनपुत्र को कठोर वचन बोलते देख, वह आया और उसने एक भयंकर मुक्का मारकर वानर को मार डाला”।

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एक दुसरे पर किया प्रहार

रावण के प्रहार से हनुमान जी घुटने टेकने को मजबूर हो गए, वे जमीन पर नहीं गिरे बल्कि क्रोध से भरकर उठ खड़े हुए। रावण आसक्ति का प्रतीक है और आसक्ति का घूंसा इतना मजबूत होता है कि शकतिशाली संत भी घुटने टेकने लगते हैं। तब हनुमान जी ने रावण को घूंसा मारा। उनके घूंसे से रावण ऐसे गिर पड़ा जैसे वज्र के प्रहार से कोई पर्वत गिर पड़ा हो। वह अचेत हो गया और हनुमान जी के बल की प्रशंसा करने लगा। प्रशंसा सुनकर हनुमान जी खुश होने के बजाय बोले, “मेरे पुरुषत्व को धिक्कार है, मुझे भी धिक्कार है और हे देवताओं के द्रोही! तू अभी भी जीवित है।”

हनुमान जी के घूंसे खाने के बाद भी रावण जीवित था। रावण आसक्ति का प्रतीक था और उसका वध केवल भगवान श्री राम ही कर सकते थे। यह चौपाई इस बात की पुष्टि करती है। इसका मतलब यह है कि हनुमान द्वारा मुक्का मारे जाने के बाद भी रावण जीवित था। रावण मोह का अवतार था और केवल भगवान श्री राम ही उसका वध कर सकते थे। यह श्लोक इस बात की पुष्टि करता है

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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