संबंधित खबरें
आखिर क्या है वजह जो गर्भवती महिलाओं को नहीं काटते सांप, देखते ही क्यों पलट लेते हैं रास्ता? ब्रह्मवैवर्त पुराण में छुपे हैं इसके गहरे राज!
क्या आपके घर का मेन गेट भी है गलत दिशा में? तो हो जाएं सतर्क वरना पड़ सकता है आपकी जिंदगी पर बूरा असर!
अगर श्री कृष्ण चाहते तो चुटकियों में रोक सकते थे महाभारत का युद्ध, क्यों नही उठाए अपने अस्त्र? इस वजह से बने थे पार्थ के सारथी!
आखिर क्या वजह आन पड़ी कि भगवान शिव को लेना पड़ा भैरव अवतार, इन कथाओं में छुपा है ये बड़ा रहस्य, काशी में आज भी मौजूद है सबूत!
इन 3 राशि के जातकों के लिए खास है आज का दिन, गजकेसरी योग से होगा इतना धन लाभ की संभाल नही पाएंगे आप! जानें आज का राशिफल
एक तवायफ के लिए जब इन 2 कट्टर पंडितों ने बदल दिया था अपना धर्म…आशिक बन कबूला था इस्लाम, जानें नाम?
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Ganesh Chaturthi 2021 : गणेश चतुर्थी में कम वक्त रह गया है। बप्पा 10 सितंबर को भक्तों के घरों में विराजेंगे। गणेश चतुर्थी के पावन पर्व की तैयारियां शुरू हो गयीं हैं। लोग बप्पा को धूमधाम से घर लाने के लिए तैयारियों में लगे हुए हैं। घरों में साफ सफाई, सजावट हो रही है। सभी बडी धूमधाम से बप्पा का स्वागत करते हैं क्योंकि वो घर आते ही हर संकट हर लेते हैं।
Read More about Ganesh Chaturthi
विघ्नों को हरने वाले गणपति को शिव और पार्वती जी का पुत्र माना जाता है, पर वे वेदों में उल्लिखित अनादि-अनंत देवता हैं। वेदों में उनकी वंदना ह्यनमो गणेभ्यो गणपति के उच्चारण से की गई है। किंतु पौराणिक मान्यताओं में गणेश जी के जन्म को लेकर कई कथाएं हैं। शिव पुराण में कथा है कि गणेश जी का जन्म पार्वती जी के उबटन से हुआ था और फिर शिव जी से उनके अनजाने में हुए युद्ध के कारण उनका शीष गज का हुआ। गणेश जी को लेकर यह लोक में सबसे प्रचलित कथा है। वहीं स्कंद पुराण गणेश जी के जन्म को राजस्थान स्थित पर्वत से जोड़ता है। इसके स्कंद अर्बुद खंड में कथा है कि माता पार्वती को शिव जी से मिले पुत्र प्राप्ति के वरदान के बाद अर्बुद पर्वत, जो अब का माउंट आबू है, पर गणेश अवतरण हुआ।
Read More about Ganesh Chaturthi
वहीं गणेश चालीसा में गणेश जी के जन्म और उनके वर्तमान स्वरूप को लेकर एक अन्य कथा मिलती है। इसके अनुसार, जब माता पार्वती को वरदान के अनुसार अत्यंत बुद्धिमान व तेजस्वी बालक प्राप्त हुआ, तो उसे देखने सभी देव आए। शनि महाराज भी पहुंचे, किंतु वे बालक को अपनी दृष्टि से बचाने के लिए देखने नहीं जा रहे थे। पर, माता पार्वती के आग्रह पर उन्होंने जब उसे प्यार से नजर भर कर देखा, उस बालक का शीष आकाश में चला गया। हाहाकार मचने पर विष्णु के वाहन गरुड़ हाथी का सिर लेकर पहुंचे और बालक को लगाया गया और शिव जी ने उसमें फिर से प्राण फूंके। ये गणेश जी के उद्भव की रोचक लोक मान्यता की कथाएं हैं, किंतु वे आरंभ-अंत से परे देवता हैं, तभी तो तुलसीदास जी ने भी इसमें संशय ना करने को कहा है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.