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India News (इंडिया न्यूज़), Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का त्योहार उस दिन मनाया जाता है जब ग्रहों के राजा सूर्य देव शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। जिस क्षण सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के अवसर पर लोग स्नान करते हैं और फिर अपनी क्षमता के अनुसार दान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने की परंपरा है। उस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। सनातन धर्म में स्नान और दान का विशेष महत्व है क्योंकि इससे पाप धुल जाते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस साल मकर संक्रांति के अवसर पर आपको दो चीजों का दान करना चाहिए, जिससे सूर्य और शनि दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
मकर संक्रांति के दिन सुबह किसी पवित्र नदी या घर पर स्नान करें। उसके बाद साफ कपड़े पहनें। फिर सूर्य देव का स्मरण करें और गुड़ का दान करें। मकर संक्रांति के दिन गुड़ का दान करने से सूर्य की कृपा प्राप्त होती है।
मकर संक्रांति के अवसर पर गुड़ के साथ काले तिल दान करने का प्रचलन है। काले तिल दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
मान्यताओं के अनुसार सूर्य और शनि का संबंध पिता-पुत्र का है, लेकिन दोनों के बीच शत्रुता का भाव है। इस वजह से ऐसा माना जाता है कि अगर सूर्य और शनि एक साथ हों तो शुभ फल प्राप्त नहीं होंगे। लेकिन साल में दो बार सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करते हैं। पहले मकर राशि में, फिर कुंभ राशि में।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सूर्य देव पहली बार शनि देव के घर आए थे तो उन्होंने अपने पिता सूर्य देव को काले तिल दिए थे। इससे वे बहुत खुश हुए और उन्हें दूसरा घर कुंभ राशि दे दी। इस वजह से मकर संक्रांति के मौके पर काले तिल दान करने का विधान है। इसका दान करने से आपको शनि और सूर्य दोनों का आशीर्वाद मिलेगा।
मकर संक्रांति के अवसर पर लोग स्नान के बाद अनाज, गुड़, काले तिल, गुड़, गर्म कपड़े आदि दान करते हैं। इस दिन आपने लोगों को खिचड़ी या चावल, उड़द की दाल और सब्जियां दान करते देखा होगा। दान करने से न केवल आपके ग्रह दोष समाप्त होते हैं, बल्कि आपके पूर्वज भी प्रसन्न होते हैं। अगर आप अपने पूर्वजों को याद करके दान करते हैं, तो आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि दान करने से आपको पुण्य मिलता है। आपको पितृ, देव और ऋषि ऋण से मुक्ति मिलती है।
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