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आखिर क्यों ऋग्वेद में बताया गया है भगवान कृष्ण को असुर? क्या हैं इसके पीछे का अनोखा सच

Babli • LAST UPDATED : September 13, 2024, 11:03 am IST

Rigveda Krishna Meaning

India News (इंडिया न्यूज़), Rigveda Krishna Meaning: कृष्ण शब्द का शाब्दिक अर्थ है “काला” या “अंधेरा”, और यह प्राचीन भारतीय संस्कृति में एक बेहद जरुरी नाम रहा है। वैदिक काल से ही कृष्ण नाम कई ऐतिहासिक और पौराणिक पात्रों से जुड़ा है, जो भारतीय इतिहास और धर्मशास्त्र में गहरा अर्थ रखते हैं। वैदिक साहित्य और महाकाव्यों में कृष्ण नाम से कई व्यक्तित्वों के बारे में जानने को मिलता है। महाभारत के रचयिता व्यास, जिन्हें कृष्ण द्वैपायन व्यास कहा जाता था, उनका नाम भी कृष्ण था। महाभारत की मुख्य पात्र रानी द्रौपदी का नाम कृष्ण रखा गया था, जो उनके सुंदर काले रंग की त्वचा की तारीफ करता है। साथ ही, कृष्णा नदी की देवी कृष्णा, वैदिक संत श्री कृष्ण निवावारी और प्राचीन राजा हविर्धन और रानी धीष्णा के पुत्र कृष्ण जैसे व्यक्तित्व इस नाम की व्यापकता को दर्शाते हैं।

  • ऋग्वेद में भी है कृष्ण नाम का उल्लेख
  • भगवान कृष्ण से नहीं है कोई रिश्ता

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ऋग्वेद में भी है कृष्ण नाम का उल्लेख

कृष्ण नाम का उल्लेख सबसे पुराने वैदिक ग्रंथों में से एक ऋग्वेद में भी मिलता है। एक प्रसंग में अंशुमती नदी के पास दस हजार राक्षसों के साथ खड़े एक भयंकर कृष्ण का वर्णन है। इंद्र ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके उसे पराजित किया और उसके अनुयायियों को मार डाला। इस प्रकरण में, इंद्र और उसके मारुता साथी एक उग्र कृष्ण से लड़ते हैं जो बादल में छिपा हुआ है।

इस प्रकरण का वर्णन ऋग्वेद संहिता में किया गया है, और यह महाभारत और पुराणों में ज्ञात भगवान कृष्ण से अलग है। ऋग्वेद में वर्णित कृष्ण को “शुशन” के नाम से भी जाना जाता है, जो बुरी शक्तियों से जुड़ा हुआ है। बता दें की इस कृष्ण का भगवान कृष्ण से कोई सीधा संबंध नहीं है, और यह नाम आमतौर पर वैदिक काल में इस्तेमाल किया जाता था।

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भगवान कृष्ण से नहीं है कोई रिश्ता

हालांकि ऋग्वेद सीधे इस कृष्ण को असुर या दैत्य के रूप में संदर्भित नहीं करता है, लेकिन बाद के टीकाकार, जैसे कि सायण, इसे इस तरह से व्याख्या करते हैं। इससे यह साफ होता है कि भगवान कृष्ण का इस वैदिक कृष्ण से कोई संबंध नहीं है, और दोनों का इतिहास और पौराणिक कथाओं में अलग-अलग स्थान है।

कृष्ण नाम का यह प्राचीन और विविध उपयोग भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास की गहराई और समृद्धि को दर्शाता है।

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