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India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Katha: महाभारत काल में कई ऐसी घटनाएं घटी हैं, जो किसी न किसी तरह महाभारत युद्ध से जुड़ी हुई हैं। शांतनु की तरह पराशर ऋषि भी सत्यवती की सुंदरता पर मोहित हो गए थे, जिसके चलते उन्होंने सत्यवती को वरदान भी दिया था। यह भी महाभारत काल की एक महत्वपूर्ण घटना रही है, क्योंकि अगर यह घटना नहीं हुई होती तो आज महाभारत का स्वरूप कुछ और होता।
पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि पराशर एक विद्वान और सिद्ध ऋषि थे। एक दिन वे धीवर नामक मछुआरे की नाव पर बैठकर नदी पार कर रहे थे, तभी उनकी नजर मछुआरे की बेटी सत्यवती पर पड़ी, जो उसी नाव पर मौजूद थी। सत्यवती की सुंदरता देखकर ऋषि पराशर उस पर मोहित हो गए और उन्होंने सत्यवती से अपने मन की बात कह दी। इस पर सत्यवती ने कहा कि मैं एक मछुआरे की बेटी हूं और आप एक सिद्ध ऋषि हैं, ऐसे में हमारा मिलन अनैतिक होगा।
सत्यवती की चिंता को भांपते हुए पराशर ऋषि ने उस स्थान पर एक कृत्रिम आवरण बना दिया ताकि कोई उन्हें वहां न देख सके। इसके साथ ही उन्होंने सत्यवती को वरदान दिया कि संतान को जन्म देने के बाद भी तुम्हारा कौमार्य प्रभावित नहीं होगा। इसके साथ ही मछुआरों के साथ रहने के कारण सत्यवती के शरीर से हमेशा मछलियों की गंध आती थी, जिसके कारण उसे मत्स्यगंधा भी कहा जाता था। ऐसे में पराशर ऋषि ने सत्यवती को यह भी वरदान दिया कि अब उसकी दुर्गंध एक बेहद आकर्षक सुगंध में बदल जाएगी।
सत्यवती और ऋषि पराशर की एक संतान भी हुई, जिसका नाम कृष्णद्वैपायन रखा गया। बाद में वे महर्षि वेद व्यास बने, जिन्हें आज महाभारत के रचयिता के रूप में जाना जाता है। बाद में महर्षि वेद व्यास ही धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर के जन्म का कारण बने, जो महाभारत की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।
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