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भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ था रुद्राक्ष, धारण करते समय रखें इन बातों का ध्यान, जानें महत्व

BY: Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : November 19, 2022, 5:13 pm IST
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भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ था रुद्राक्ष, धारण करते समय रखें इन बातों का ध्यान, जानें महत्व

Rudraksha Types, Importance and Niyam.

Rudraksha Types, Importance and Niyam: हिन्दू धर्म में भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुए रुद्राक्ष को सबसे पवित्र और पूजनीय माना गया है। बता दें कि रुद्राक्ष दो शब्दों से बना है। जिसमें रूद्र का अर्थ है महादेव और अक्ष का अर्थ है आंसू। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी अध्यात्मिक कार्य में रुद्राक्ष का प्रयोग करने से सभी कार्य सफल हो जाते हैं और व्यक्ति पर महादेव की कृपा सदैव बनी रहती है।

शास्त्रों में ये भी बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति सही समय पर और विशेष नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण करता है तो उसे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यहां जानिए रुद्राक्ष के विषय में पूरी जानकारी।

रुद्राक्ष कहां मिलता है? (Origin of Rudraksha)

आपको बता दें कि प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष की उत्पत्ति फल के रूप में होती है, जिनके पेड़ पहाड़ी इलाकों में अधिक मिलते हैं। भारत सहित रुद्राक्ष के ये पेड़ नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया में अधिक संख्या में पाए जाते हैं। लेकिन धार्मिक दृष्टि से देखें तो पौराणिक कथा में बताया गया है कि जब एक बार महादेव तपस्या के दौरान अधिक भावुक हो गए थे। तब उनके आंखों से जो अश्रु गिरे थे, उनसे रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए शास्त्रों में बताया गया है कि रुद्राक्ष में स्वयं भगवान शिव वास करते हैं।

कई प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष (Types of Rudraksha)

जानकारी के अनुसार, रुद्राक्ष के भी कई प्रकार होते हैं। ये एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक उपलब्ध हैं। इनके सभी भेदों का अपना-अपना महत्व है। साथ ही सभी में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूप वास करते हैं।

  • 1 मुखी रुद्राक्ष में भगवान शंकर वास करते हैं।
  • 2 मुखी रुद्राक्ष को अर्द्धनारीश्वर का रूप माना जाता है।
  • 3 मुखी रुद्राक्ष को अग्नि का स्वरूप माना जाता है।
  • तो वहीं 4 मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मस्वरूप के रूप में धारण किया जाता है।
  • 5 मुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि स्वरूप माना जाता है।
  • 6 मुखी रुद्राक्ष में कार्तिकेय वास करते हैं।
  • इसके साथ 7 मुखी रुद्राक्ष को कामदेव का स्वरूप माना है।
  • 8 मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश और भैरवनाथ का स्वरूप माना जाता है।
  • इसी प्रकार 9 मुखी रुद्राक्ष को मां भगवती और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए धारण किया जाता है।
  • 10 मुखी रुद्राक्ष सभी दिशाओं और यम का प्रतिनिधित्व करता है।
  • 11 मुखी रुद्राक्ष में साक्षात भगवान शिव के रौद्र रूप वास करते है।
  • 12 मुखी रुद्राक्ष को सूर्य, अग्नि और तेज का प्रतिनिधि माना जाता है।
  • जो व्यक्ति 13 मुखी रूद्राक्ष धारण करता है उसे विजय और सफलता की प्राप्ति होती है।
  • 14 मुखी रुद्राक्ष में भगवान शंकर स्वयं विराजमान होते हैं।

रुद्राक्ष धारण करते समय रखें इन बातों का ध्यान (Rudraksha Niyam)

  • शास्त्रों में बताया गया है कि व्यक्ति को रुद्राक्ष धारण करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि गलत समय पर या गलत रूप से रुद्राक्ष धारण करने से कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • शास्त्रों में बताया गया है कि रुद्राक्ष की शुद्धता को बरकरार रखने के लिए इसे अशुद्ध हाथों से नहीं छूना चाहिए। बल्कि स्नान के बाद ही इन्हें हाथ लगाना चाहिए।
  • रुद्राक्ष को पिरोते समय धागे के रंग का भी खास ध्यान रखें। इस कार्य के लिए लाल अथवा पीले रंग के धागे को ही उत्तम माना जाता है। साथ ही ऐसा करने से रुद्राक्ष की शक्तियां बढ़ जाती हैं।
  • इसके साथ रुद्राक्ष को धारण करते समय निरन्तर ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
  • इस बात का भी ध्यान रखें कि आप किसी अन्य व्यक्ति को अपना रुद्राक्ष धारण करने के लिए ना दें। साथ ही किसी अन्य व्यक्ति का रुद्राक्ष भी धारण न करें। इससे रुद्राक्ष की चमत्कारी शक्तियां कम हो जाती है।

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