संबंधित खबरें
महाभारत के समय चीन का ये हुआ करता था नाम, भारत के इस राजा के नाम से जुड़े हैं तार!
अगर इस दिन गलती से भी लगाया सिंदूर, तो पति पर टूट जायेगा दुखों का पहाड़! अभी जान लें मांग भरने के सही नियम
क्या आपके शरीर पर भी है इन जगहों पर तिल? तो खुशियों से भरा हुआ है आपका संसार
क्या आपके भी अंगूठे पर बनता है ऐसा अर्ध चांद? किस्मत का इक्का है ये एक साइन, जानें कैसा होने वाला है आपका फ्यूचर?
नए साल के शुरू होते ही शनि की राशि में बनेगा बुधादित्य राजयोग, इन 3 चुनिंदा राशियों का शुरू होगा गोल्डन पीरियड, हर काम समय से पहले होगा पूर्ण
Today Horoscope: इन 4 राशि वालो के हाथ में होगा आज हुकुम का इक्का, जानें कैसा रहेगा आज का राशिफल
Sakat Chauth 2023: माघ माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का सनातन धर्म में काफी महत्व है। इसे माघी चतुर्थी, सकट चौथ, तिलकुट चौथ और लंबोदर चतुर्थी भी कहा जाता है। इस साल सकट चौथ 10 जनवरी 2023 को है। कल मंगलवार को पूरे देश में पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी। इस दिन गौरी पुत्र भगवान गणेश को खास तिल से बनी हुई मिठाई का भोग लगाया जाता है। मान्यतानुसार, तिलकुट चतुर्थी का व्रत करने से श्रीगणेश संतान पर आने वाले सभी संकट और दुख को दूर कर देते हैं। सकट चौथ के दिन महिलाएं अपने पुत्र के लिए व्रत रखती हैं। आइए आज आपको सकट चौथ की पूजा विधि, महत्व और मुहूर्त के बारे में बताते हैं।
आपको बता दें कि साल में आने वाली 4 बड़ी चतुर्थी में से सकट चौथ एक मानी जाती है। भगवान गणेश और चंद्रमा की इस व्रत में पूजा की जाती है। जिसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
माघ माकृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि – 10 जनवरी 2023, दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर शुरू।
माघ माकृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि – 11 जनवरी 2023, दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।
चंद्रोदय समय – 10 जनवरी 2023 को रात 8:50 पर
शाम को पूजा का मुहूर्त – शाम 05 बजकर 49 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 16 मिनट तक।
बता दें कि सकट चौथ या तिलकुट चतुर्थी के दिन पानी में तिल डालकर सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिए। जिसके बाद पूजा का संकल्प करें। फिर शाम के वक्त चंद्रोदय से पहले पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें। जिसके बाद भगवान गणपति को 21 दूर्वा, मोदक, कुमकुम, रोली, अबीर, गुलाल और फूल अर्पित करें।
तिलकुट चतुर्थी के दिन खासतौर पर तिल से बने हुए 11 या फिर 21 लड्डू का भगवान गजानन को भोग जरूर लगाएं। इसके साथ ही ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम: और ऊँ एकदन्ताय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। बता दें कि इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को शाम के समय में चंद्र दर्शन करना चाहिए और उसकी पूजा करनी चाहिए। जिसके बाद खुद ही भोजन कर लें।
Also Read: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के इतने मामले आए सामने, इतने लोगों ने दिया कोविड को मात
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.