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Saphala Ekadashi 2025: इस वर्ष कब मनाई जाएगी सफला एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Saphala Ekadashi 2025: सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने की परंपरा है. आइए जानते हैं कि पौष महीने की पहली एकादशी का शुभ मुहूर्त, व्रत तोड़ने का समय के बारे में.

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: December 10, 2025 14:15:20 IST

Saphala Ekadashi 2025 Date: हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है. हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी पड़ती है, और हर एकादशी का अपना अलग पौराणिक महत्व है. इसी क्रम में, पौष महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है, जिसे ‘पौष कृष्ण एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है. 

इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने की परंपरा है. इस तारीख को स्नान, दान और भक्ति के साथ की गई पूजा से विशेष फल मिलता है. इस दिन पूजा के साथ व्रत रखने से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है. इस साल, एकादशी तिथि दो दिनों तक होने के कारण, इस बात को लेकर भ्रम है कि किस दिन एकादशी का व्रत रखना उचित है. आइए जानते हैं सफला एकादशी की सही तारीख, शुभ मुहूर्त, व्रत तोड़ने का समय, मंत्र और धार्मिक महत्व…

सफला एकादशी 2025 की तारीख (Saphala Ekadashi 2025 Date)

पंचांग के अनुसार, पौष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि रविवार, 14 दिसंबर को शाम 6:50 बजे शुरू होगी और 15 दिसंबर को रात 9:21बजे समाप्त होगी. इसलिए, उदय तिथि के अनुसार, सफला एकादशी का व्रत सोमवार, 15 दिसंबर को रखा जाएगा. 

सफला एकादशी 2025 पारण का समय 

सफला एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू होता है और द्वादशी तिथि को समाप्त होता है. दसवें दिन (दशमी तिथि) कुछ नियमों का पालन किया जाता है, एकादशी को व्रत रखा जाता है, और बारहवें दिन (द्वादशी) व्रत तोड़ा जाता है. सफला एकादशी का व्रत 16 दिसंबर को सुबह 7:07 बजे से 9:11 बजे के बीच तोड़ा जा सकता है.

सफला एकादशी 2025 का धार्मिक महत्व (Saphala Ekadashi 2025 Importance)

‘सफला’ शब्द का अर्थ है समृद्धि, इसलिए यह एकादशी बहुत फायदेमंद मानी जाती है, खासकर उन लोगों के लिए जो जीवन में प्रगति, सफलता और भरपूर समृद्धि पाना चाहते हैं. कहा जाता है कि यह दिन प्रचुरता, सौभाग्य और इच्छाओं की पूर्ति देता है. इस दिन, भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की सही रीति-रिवाजों से पूजा करने का रिवाज है, जिससे माना जाता है कि भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.

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