Saphala Ekadashi 2025: पौष माह की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है, हर एकादशी की तरह सफला एकादशी भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है. कहा जाता है, जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान से सफला एकादशी पर पूजा करता है और व्रत रखता है उसके सारे पापों का नाश हो जाता है और उसे जीवन में खूब सफलता हासिल होती है. इसके अलावा सफला एकादशी के दिन गंगा, यमुना, शिप्रा और नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का भी बेहद महत्व बताया गया है, ऐसा करने से शुभ फलो की प्राप्ती होती है, यदि किसी वजह से आप नदी में स्नान न कर पाएं, तो आप घर में ही स्नान के पानि में गंगाजल डालकर नहा सकते हैं, ऐसा करने से भी पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
कब है सफला एकादशी व्रत? (Saphala Ekadashi Date 2025)
हिंंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह की एकादशी तिथि 14 दिसंबर के दिन शाम 6 बजकर 49 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 15 दिसंबर के दिन रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. उदय तिथि के अनुसार सफला एकादशी का व्रत 15 दिसंबर, सोमवार के दिन किया जाएगा और व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक कर सकते हैं.
सफला एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त:- सुबह 05 बजकर 17 मिनट से सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक
- अभिजित मुहूर्त:- सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक
- विजय मुहूर्त:- दोपहर 02 बजे से दोपहर 02 बजकर 41 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त:- शाम 05 बजकर 24 मिनट से शाम 05 बजकर 51 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त:- रात 11 बजकर 49 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक, दिसम्बर 16
सफला एकादशी व्रत की सही पूजा विधि
सफला एकादशी के दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मंदिर की सफाई करें और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. फिर पूजा मे भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, तुलसी दल, पीले फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. माता लक्ष्मी को कमल पुष्प और मिठाई अर्पित करें. पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें. इसके बाद विष्णु सहस्रनाम, एकादशी व्रत कथा पढ़े साथ ही “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें. साथ ही. पूरे दिन मंन को शंत रखें, क्रोध करने से बचे , गलत शब्दों का उपयोग ना करें. इसके बाद शाम की पूजा में विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद आप खुद द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करें.
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