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Sarvapitr Amaavasya Date पितृ पक्ष में सर्वपितृ अमावस्या को बहुत ही विशेष दिन माना गया है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि पता नहीं होती है। सर्वपितृ अमावस्या को आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक इस साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानि सर्वपितृ अमावस्या 6 अक्टूबर, बुधवार को है। इस बार 21 साल बाद सर्वपितृ अमास्या पर गजछाया शुभ योग रहेगा और खास बात ये भी है कि पितृ पक्ष की अमावस्या बुधवार को है। इस दिन सूर्य चंद्रमा दोना ही बुध की राशि यानी कन्या में रहेंगे।
पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म और तर्पण पितरों की मृत्यू की तिथि अनुसार किया जाता है। यदि ये तिथि भूल जाएं तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। सर्वपितृ अमावश्या को ऐसे पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं।
श्राद्ध के दिनों में पितर धरती पर आते हैं। उनका किसी भी रूप में अपने वंशजों के यहां आगमन हो सकता है. ऐसे में अगर उन्हें तृप्त न किया जाए, तो उनकी आत्मा अतृप्त ही लौट जाती है. इसलिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को शांति देने के लिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीता के 7वें अध्याय का पाठ अवश्य करें। साथ ही उसका पूरा फल पितरों को समर्पित करें. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और मन चाहा फल देते हैं।
स्कंदपुराण और महाभारत में गजछाया योग का जिक्र किया गया है। इस शुभ संयोग में पितरों के लिए किए गए श्राद्ध का अक्ष्य फल मिलता है और घर में समृद्धि आती है। ऐसा कहा गया है कि गजछाया योग में किए गए श्राद्ध और दान से पितर 12 वर्षों के लिए तृप्त हो जाते हैं। गजछाया के लिए सूर्य का हस्त नक्षत्र में होना जरूरी है।
एक जब सूर्य हस्त नक्षत्र में होता है और चंद्रमा मघा नक्षत्र में होता है तो इसे गजछाया योग कहा होता है। इसय बार इस प्रकार की स्थिति 3 अक्तूबर, 10:30 से रात 3:26 तक रहेगी।
दूसरा, पितृ पक्ष की अमावस्या पर जब सूर्य और चंद्रमा दोनों ही हस्त नक्षत्र में होते हैं तो इसे भी गजछाया योग कहते हैं। ऐसी स्थिति 6 अक्टूबर, बुधवार को सूर्योदय से शाम 4.34 तक रहेगी। ये योग कुतुप काल (सुबह 11.36 से दोपहर 12.24 ) में भी रहेगा।
(Sarvapitr Amaavasya Date)
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