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वृश्चिक संक्रांति आज, हिंदू धर्म में क्या है इसका महत्व, जाने स्न्नान-दान और पूजा का शूभ मुहूर्त?

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : November 16, 2024, 7:54 am IST
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वृश्चिक संक्रांति आज, हिंदू धर्म में क्या है इसका महत्व, जाने स्न्नान-दान और पूजा का शूभ मुहूर्त?

Vrishchik Sankranti 2024: वृश्चिक संक्रांति आज, हिंदू धर्म में क्या है इसका महत्व

India News (इंडिया न्यूज़), Vrishchik Sankranti 2024: ग्रहों के कारक सूर्य एक राशि में एक महीने तक रहते हैं और फिर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना यानी राशि परिवर्तन (राशि परिवर्तन) संक्रांति कहलाता है। वैसे तो सूर्य समय-समय पर सभी 12 राशियों में भ्रमण करते हैं, लेकिन मेष, कर्क, मिथुन, मकर और धनु राशि में सूर्य का गोचर अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

क्या है वृश्चिक संक्रांति

जब सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे वृश्चिक संक्रांति कहते हैं। आपको बता दें कि जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन उस नाम की संक्रांति होती है। संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा, व्रत और दान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। वृश्चिक संक्रांति 2024 कब है

वृश्चिक संक्रांति 2024

पंचांग के अनुसार वृश्चिक संक्रांति आज शनिवार 16 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। आज सुबह 7:41 बजे सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर चुके हैं, जहां वे 14 दिसंबर तक रहेंगे और 15 दिसंबर को धनु राशि में प्रवेश करेंगे। वृश्चिक संक्रांति का शुभ मुहूर्त सुबह 6:45 बजे से 7:41 बजे तक है।

वृश्चिक संक्रांति का प्रभाव

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार वृश्चिक राशि सभी 12 राशियों में सबसे संवेदनशील राशि मानी जाती है। जो शरीर की तामसिक ऊर्जा, दुर्घटनाओं और जीवन के उतार-चढ़ाव को प्रभावित करती है। साथ ही यह राशि खनिज, भूमि संसाधन (तेल, गैस, रत्न आदि) की भी कारक है। ऐसे में जब सूर्य इस राशि में आता है तो अनिश्चित परिणाम देता है।

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 क्या है इसका धार्मिक महत्व

वृश्चिक संक्रांति का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि वृश्चिक राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ ही कृषि, प्रकृति और ऋतु में भी परिवर्तन होता है। संक्रांति के दिन सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को जल (सूर्य अर्घ्य) अवश्य अर्पित करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य संबंधी दोष और पितृ दोष समाप्त होता है। इस दिन दान का भी बहुत महत्व है। आज के दिन लोग तिल, गुड़, कपड़े और अन्न आदि का दान करते हैं।

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