होम / सिर्फ पीछे मुड़कर देखने की भूल कालिया नाग को क्यों पड़ी थी इतनी भारी, कैसे बन बैठा था पत्थर का?

सिर्फ पीछे मुड़कर देखने की भूल कालिया नाग को क्यों पड़ी थी इतनी भारी, कैसे बन बैठा था पत्थर का?

Prachi Jain • LAST UPDATED : August 24, 2024, 4:00 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Shri Krishna’s Curse To Kaliya Naag: बहुत समय पहले, एक सुंदर और शांतिपूर्ण गांव था, जिसे ब्रज कहा जाता था। इस गांव में बहने वाली यमुना नदी अपनी स्वच्छ और ठंडी जलधारा के लिए प्रसिद्ध थी। लेकिन उस समय यमुना नदी में एक भयावह संकट मंडरा रहा था। यमुना नदी के गर्भ में एक विशाल और खतरनाक नाग, कालिया, निवास करता था।

कालिया नाग का नाम सुनते ही आसमान में उड़ते पक्षी भी डर के मारे चिल्ला उठते थे। उसकी विशालता और जहर की शक्ति इतनी थी कि नदी का पूरा पानी विष से भर गया था। कालिया नाग ने यमुना नदी को अपना घर बना लिया था, और उसकी वजह से नदी का पानी इतना जहरीला हो गया था कि सभी जीव-जंतुओं के लिए पीना खतरे से भरा था।

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खेल-खेल में कालिया नाग तक पहुंचे कृष्ण

एक दिन, भगवान कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे। वे आनंद और हंसी के साथ खेल में मशगूल थे, और खेलते-खेलते उनकी एक गेंद यमुना नदी में गिर गई। कृष्ण के दोस्तों ने देखा कि नदी में कालिया नाग रहता है और उसे बहुत जहरीला बताया। उन्होंने कृष्ण से कहा कि नदी में मत जाओ, वहां बहुत खतरा है।

लेकिन भगवान कृष्ण ने अपने दोस्तों की बातों की परवाह किए बिना नदी में छलांग लगा दी। जैसे ही कृष्ण ने नदी में प्रवेश किया, कालिया नाग अपनी पूरी ताकत के साथ बाहर आया और भगवान कृष्ण को जहर से मारने की कोशिश की। लेकिन कृष्ण के अद्भुत और दिव्य बल के सामने कालिया नाग की सारी ताकत बौनी साबित हुई।

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कृष्ण ने कालिया नाग को पराजित किया और उसे चेतावनी दी, “तुम्हें यमुना नदी और ब्रज छोड़कर चले जाना होगा। अगर तुम पीछे मुड़कर देखोगे, तो तुम पाषाण बन जाओगे।”

कालिया नाग की हार और भगवान कृष्ण की विजय

कालिया नाग, जो भगवान कृष्ण के दिव्य रूप को पहचान नहीं पाया था, कृष्ण की चेतावनी को अनसुना कर दिया और अपनी हार को स्वीकार करने के बजाय जिद्दीपन दिखाया। उसने कृष्ण की चेतावनी की अनदेखी की और पीछे मुड़कर देखा। कृष्ण ने कहा था कि जो भी पीछे मुड़ेगा, वह पत्थर में बदल जाएगा, और कालिया नाग ने वही किया।

सही कहा गया था। जैसे ही कालिया नाग ने पीछे मुड़कर देखा, वह धीरे-धीरे एक पाषाण में बदलने लगा। उसकी पूरी शक्ति और अहंकार उसके पत्थर में बदलने के साथ ही समाप्त हो गए। वह अब यमुना नदी में एक स्थायी याद के रूप में मौजूद था, और यमुना का पानी फिर से शुद्ध और जीवंत हो गया।

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इस तरह भगवान कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से कालिया नाग को पराजित किया और ब्रजवासियों को फिर से सुख और शांति का अहसास कराया। कृष्ण की इस लीला ने सबको सिखाया कि सच्चे साहस और भक्ति के सामने किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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