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India News(इंडिया न्यूज), Shree Krishna: सोमनाथ एक ऐसा स्थान है जहां श्रीकृष्ण का अंतिम संस्कार हुआ था। यहां भगवान शिव के महाज्योतिर्लिंग को सोमनाथ नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान शिव के आध्यात्मिक शक्ति और भगवान श्रीकृष्ण की ध्यानमुद्रा एकत्रित होती है। यह स्थान एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जहां अनेक पारंपरिक कथाएं जुड़ी हैं।
इसी स्थान पर भालका तीर्थ नामक एक छोटा सा मंदिर है, जो एक वट वृक्ष के नीचे स्थित है। मंदिर के बाहरी माहौल में सड़क का शोर-शराबा होता है, लेकिन अंदर की शांति और ध्यान का वातावरण बना हुआ है। यहां भक्तों को अपने आत्मीयों के साथ भगवान की ध्यान-भक्ति करने का विशेष अनुभव मिलता है। मंदिर का गर्भग्रह अभी पूर्णरूप से पुनर्निर्माण के प्रक्रिया में है, लेकिन यहां की विशेषता यह है कि यह एक सांसारिक और आध्यात्मिक मिलन का स्थान है, जहां श्रीकृष्ण और शिव का अद्वितीय संयोग है।
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भगवान श्रीकृष्ण का अंतिम संस्कार त्रिवेणी के घाट पर किया गया था, जो आज भी उनके पदचिह्नों से युक्त है। यह तीर्थ गौलोकधाम भी जाना जाता है। इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण के चरण-पद्म अभिलेख अभी भी देखे जा सकते हैं।
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संगम स्थल त्रिवेणी में तीन नदियों – हिरण्य, सरस्वती और कपिला का – मिलन होता है। यहीं पर उनका अंतिम संस्कार हुआ था। इस स्थल को ‘वाणसागर’ भी कहा जाता है, जहां सागर के अंदर तीन शिवलिंग प्रकट हुए थे, जिन्हें ‘त्रिवेणी संगम’ भी कहा जाता है। इस घाट पर भगवान श्रीकृष्ण के विदा होते ही द्वापर युग का समाप्त हो गया था और कलियुग की प्रारंभिक घड़ी बजी थी।
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