Categories: धर्म

श्री श्री रविशंकर ने कहा हमें अपनी जड़ों को गहरा और दृष्टिकोण को व्यापक करना चाहिए, भारत की आध्यात्मिक परंपरा और लोगों को जोड़ने का इसका इतिहास अद्वितीय

India News (इंडिया न्यूज), Shri Shri Ravi Shankar : आज आवश्यकता है कि हम जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को व्यापक करें और अपनी जड़ों को गहराई दें। जब हम स्वयं को बेहतर समझते हैं, अपने अतीत पर गर्व करते हैं, तो अपने सांस्कृतिक मूल, भाषा, संगीत, भोजन और ज्ञान परंपराओं के प्रति स्वाभाविक रूप से हमारे भीतर उत्तरदायित्व और अपनापन पैदा होता है।

भारतीयों को इस बात पर गर्व होना चाहिए

भारत का आकार देखिए — यह अमेरिका के एक-तिहाई भूभाग के बराबर है, लेकिन इसकी जनसंख्या तीन गुना है। यहाँ बाईस आधिकारिक भाषाएँ हैं, और इनके अतिरिक्त अनेक बोलियाँ और उपबोलियाँ, असंख्य संस्कृतियाँ, परंपराएँ और मान्यताएँ हैं। इस अपार विविधता के बावजूद यह देश एक अविभाज्य इकाई के रूप में आगे बढ़ रहा है। इसका कारण है इस भूमि की आध्यात्मिकता। यहाँ के लोग अब भी मुस्कुराते और प्रसन्न रहते हैं। भारतीयों को इस बात पर गर्व होना चाहिए।

लोगों को जोड़ने का इसका इतिहास अद्वितीय

भारत की आध्यात्मिक परंपरा बहुत दीर्घ है और लोगों को जोड़ने का इसका इतिहास अद्वितीय है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी, दुनिया भर के लोग यहाँ सच्चा सुख, ज्ञान और शांति की खोज में आते रहे हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, भारत आध्यात्मिक साहित्य और दर्शन की समृद्ध विरासत से संपन्न है — चाहे वह विज्ञान भैरव, शिव सूत्र, रस हृदय तंत्र जैसे कश्मीर शैवमत के ग्रंथ हों या फिर तिरुक्कुरल जैसे तमिल शास्त्र। हज़ारों पांडुलिपियाँ और ताड़पत्र ग्रंथ तो आज भी अपठित रह गये हैं। कुछ अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के प्रयास से अनेक दुर्लभ और प्राचीन पांडुलिपियाँ संरक्षित और डिजिटाइज़ हो रही हैं।

भारत के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ

हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से लेकर केरल के समुद्र तटों और बैकवॉटर तक, तमिलनाडु, ओडिशा, मध्यप्रदेश और गुजरात के प्राचीन मंदिरों से लेकर वन्यजीव अभयारण्यों तक — भारत में पर्यटन स्थलों में जो विविधता है वह शायद ही दुनिया में कहीं और मिले। यहाँ विश्वस्तरीय वैज्ञानिक और तकनीकी मस्तिष्क हैं और अपार जनसांख्यिकीय क्षमता है। पर्यटन, खानपान, सूचना प्रौद्योगिकी, वस्त्र, आभूषण, आयुर्वेद, योग और आध्यात्मिक साधनाएँ — भारत के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है।

ये दोनों एक-दूसरे के विपरीत नहीं

देशभक्ति का अर्थ यह नहीं कि आप वैश्विक नागरिक नहीं हो सकते। ये दोनों एक-दूसरे के विपरीत नहीं हैं। हर व्यक्ति को अपने देश, भाषा और संस्कृति पर गर्व करने का अधिकार है। जैसे एक कन्नड़भाषी को कन्नड़ पर गर्व होना चाहिए, वैसे ही एक फ़्रांसीसी को फ्रेंच पर होता है। जब सेनेगल, मंगोलिया या किसी भी अन्य देश के लोग अपनी सुंदर सांस्कृतिक धरोहर के बारे में बताते हैं, अपनी परंपराएँ साझा करते हैं, तो यह सभी को समृद्ध करता है। यह गर्व संकीर्ण राष्ट्रवाद नहीं, बल्कि अपनी जड़ों और विरासत के प्रति सम्मान है। जब आप अपनी संस्कृति का मूल्य समझते हैं, तभी आप दूसरों की संस्कृति का भी आदर और प्रशंसा कर पाते हैं।

योग और आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ

आज आपस में जुड़े विश्व में तकनीक, ज्ञान और बुद्धि को सीमाओं में  नहीं बाँधा जा सकता। हम फ़िनलैंड का मोबाइल फोन केवल इसलिए अस्वीकार नहीं करते कि वह वहाँ बना है, न ही इटली का पिज़्ज़ा। उसी प्रकार, आध्यात्मिक ज्ञान, चाहे वह कहीं से भी आए, मन और आत्मा को ऊँचा उठा सकता है और उसे खुले मन से स्वीकार करना चाहिए, साथ ही उसका उचित श्रेय भी देना चाहिए। जैसे न्यूटन को गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का श्रेय दिया जाता है, जबकि यह नियम उससे पहले भी अस्तित्व में था। उसी तरह, योग और आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ और इसे हमारे ऋषियों ने दुनिया को उपहार स्वरूप दिया। इस सत्य का सम्मान होना चाहिए।

योग की परंपरा और सार का सम्मान होना चाहिए

आज योग को कई रूपों और नामों में ढाला जा रहा है। नवाचार का अपना स्थान है, परंतु योग की परंपरा और सार का सम्मान होना चाहिए और इसे दुनिया को देने वाले ऋषियों को श्रेय अवश्य मिलना चाहिए। यही बात आयुर्वेद पर भी लागू होती है। यह प्राचीन विज्ञान हमारे ऋषियों ने स्वास्थ्य और उपचार की एक संपूर्ण पद्धति के रूप में दिया था। इसे ‘हर्बल मेडिसिन’ कहकर पुनः ब्रांड करना, इसकी गहराई को कमतर आंकना है और उन मनीषियों की दृष्टि का अनादर करना है, जिन्होंने इसे दुनिया को दिया। यह एक प्रकार की बौद्धिक चोरी है।

अभाव को आत्मसम्मान प्राप्त करके दूर करना होगा

भारत सदैव विश्व में सम्मानजनक स्थान रखता आया है। लेकिन हम विश्व मंच पर अपनी गहरी जड़ों पर गर्व करने में संकोच करते थे। अब यह बदल रहा है। इस नये आत्मगौरव के साथ भारत के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। अभाव को आत्मसम्मान प्राप्त करके दूर करना होगा। आत्मसम्मान के साथ हमें अपनी उत्पादकता बढ़ानी होगी और देश में संपन्नता लानी होगी। अब समय है कि हम अपनी नींद से जागें, साहस जुटाएँ, अपने पूर्वजों के बलिदान को याद करें और प्रगतिशील भारत के लिए कार्य करें।

Recent Posts

पैरों में सूजन और सख्ती को न करें नजरअंदाज, अंदर ही अंदर पनप रही है ये गंभीर बीमारियां

Leg Swelling Causes: पैरों और टांगों में सूजन क्यों होती है, इसके पीछे कौन सी बीमारियां…

Last Updated: December 27, 2025 21:45:58 IST

WTC Points Table: इंग्लैंड की बड़ी जीत के बाद पॉइंट्स टेबल की बदली तस्वीर, भारत की पोज़ीशन का क्या है हाल?

Ashes 2025-26 के चौथे टेस्ट में इंग्लैंड ने मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया को हरा दिया और…

Last Updated: December 27, 2025 21:34:07 IST

ट्रैफिक की ऐसी की तैसी! जब हरियाणवी ताऊ का पारा चढ़ा, तो स्कूटी को ही बना लिया ‘हैंडबैग’, देखें वीडियो

Man Frustrated With Traffic: हरियाणा में एक आदमी अपने घर के पास ट्रैफिक से इतना…

Last Updated: December 27, 2025 19:32:03 IST

मां की ममता शर्मसार! मराठी ना बोल पाने की वजह से 6 साल की मासूम बेटी के साथ किया ऐसा काम, सुन कांप उठेगा कलेजा

Navi Mumbai Crime News: बेटी मराठी में बात नहीं कर सकती थी, इसलिए मां ने…

Last Updated: December 27, 2025 20:35:35 IST

सावधान! आपकी पसंदीदा डाइट दे रही है मौत को दावत: 16 साल की बच्ची की जान ले गया पिज्जा-बर्गर

Amroha Girl Death Fast Food: अमरोहा की यह घटना जंक फूड के शौकीन युवाओं के…

Last Updated: December 27, 2025 19:46:05 IST

उंगलियां चाटते रह जाएंगे घर आए मेहमान… डिनर में बानाए ढाबा स्टाइल पंजाबी राजमा मसाला, जानें पूरी रेसिपी

Dhaba Style Punjabi Rajma Masala Recipe: आगर आप पूराने घिसे-पिटे राजमा की रेसिपी बनाते है…

Last Updated: December 27, 2025 20:06:02 IST