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श्री कृष्ण के जन्म की ये कहानी नहीं जानते होंगे आप, किसकी चीखें सुनकर धरती पर उतरे थे भगवान?

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 14, 2024, 9:58 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Shri Krishna Janam Kahani: भगवान श्रीकृष्ण का अवतार और उनकी लीलाओं का वर्णन अद्वितीय है। द्वापर युग में जब पृथ्वी पर अधर्म और पाप का बोझ बढ़ने लगा, तब धरती माता ने श्री नारायण से प्रार्थना की कि वे अवतार लेकर पृथ्वी को इस बोझ से मुक्ति दिलाएं। इस प्रार्थना को सुनकर श्री नारायण ने धरती माता से वचन दिया कि वे जल्द ही अवतार लेंगे और संसार को अधर्म से मुक्ति दिलाएंगे। यहीं से भगवान श्रीकृष्ण के अवतार की कथा प्रारंभ होती है।

कंस और आकाशवाणी की घटना

कथा के अनुसार, जब वसुदेव और देवकी का विवाह हुआ और वे कंस के साथ गोकुल जा रहे थे, तभी आकाशवाणी हुई। उस आकाशवाणी में बताया गया कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का विनाश करेगा। यह सुनकर कंस भयभीत हो गया और उसने देवकी और वसुदेव को बंदी बना लिया। इसके बाद, कंस ने देवकी के पहले सात पुत्रों को मार डाला, लेकिन आठवें पुत्र के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया।

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भगवान श्रीकृष्ण का जन्म

भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि की आधी रात को, जब रोहिणी नक्षत्र उदित था, भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। उनके जन्म के समय कारागार, जहां वसुदेव और देवकी कैद थे, स्वर्ग जैसी सुंदरता से भर गया। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य रूप में माता-पिता को दर्शन दिए और फिर बाल रूप में आ गए। श्रीकृष्ण ने वसुदेव को निर्देश दिया कि वे उन्हें गोकुल लेकर जाएं और नंद बाबा के घर में यशोदा की नवजात बेटी के स्थान पर उन्हें रख दें।

अद्भुत घटनाएं और वसुदेव का गोकुल जाना

भगवान श्रीकृष्ण के आदेशानुसार, वसुदेव ने उन्हें एक टोकरी में रखा और कारागार से बाहर जाने का प्रयास किया। जैसे ही वे श्रीकृष्ण को लेकर चले, चमत्कारिक घटनाएं घटित होने लगीं। वसुदेव की हथकड़ियां खुल गईं, और कारागार के द्वार अपने आप खुल गए। पहरेदार गहरी नींद में सो गए। वसुदेव बिना किसी कठिनाई के गोकुल पहुंचे और वहां नंद बाबा के घर में यशोदा की बेटी को लेकर श्रीकृष्ण को उनके स्थान पर रख दिया।

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कंस और माया स्वरूपा कन्या की घटना

जब कंस को यह पता चला कि देवकी ने एक बेटी को जन्म दिया है, तो वह उस बेटी को मारने के लिए कारागार में आया। लेकिन वह कन्या माया स्वरूपा थी, और कंस उसे मारने में असमर्थ रहा। वह कन्या आकाश में विलीन हो गई और कंस को चेतावनी दी कि उसका काल जीवित है और उसका अंत निश्चित है।

श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं

इसके बाद, श्रीकृष्ण ने गोकुल और वृंदावन में अपनी बाल लीलाएं शुरू कीं। वे एक साधारण बालक के रूप में पले-बढ़े, लेकिन उनकी लीलाओं ने सभी को चकित कर दिया। उन्होंने कई असुरों का वध किया और कंस को भी समाप्त कर, धरती को उसके अत्याचार से मुक्त किया।

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श्रीकृष्ण का अवतार: एक दिव्य लीला

भगवान श्रीकृष्ण का अवतार धरती पर अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए था। उनका जीवन और उनकी लीलाएं हमें प्रेम, भक्ति, धर्म और सच्चाई का मार्ग दिखाती हैं। जन्माष्टमी का पर्व इसी अद्भुत अवतार की स्मृति में मनाया जाता है, जो हमें भगवान के प्रति निष्ठा और समर्पण की सीख देता है।

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