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मौत के बाद शव को क्यों काटकर खा जाते हैं इस धर्म के लोग? दिमाग हिलाकर रख देगी ये अजीब प्रथा  

Reepu kumari • LAST UPDATED : September 20, 2024, 1:21 pm IST

_Strange funeral Traditions

India News (इंडिया न्यूज), Strange funeral Traditions: अंतिम संस्कार, जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो रीति रिवाज के अनुसार मृतक के शरीर को जला दिया जाता है या फिर दफना दिया जाता है। धर्म के अनुसार दाह संस्कार के अलग-अलग नियम है। जैसे हिंदुओं में शरीर को अग्नि के हवाले किया जाता है। मुसलमानों में शरीर को दफनाया जाता है। ताकी मृतक को मुक्ति मिल जाए। लेकिन आज हम आपको दाह संस्कार के एक ऐसे रिवाज के बारे में बताएंगे जिसके बारे में जानकर आप खाना पीना छोड़ देंगे। विश्व के कोने-कोने में अलग-अलग तरह से लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसे में एक ऐसी जगह है जहां अगर किसी की मौत हो जाती है तो मरने के बाद व्यक्ति का शव काटकर लोग खा जाते हैं। जानते हैं इस अजीब प्रथा के बारे में।

खड़े हो जाएंगे रौंगटे

इतिहास के सबसे अजीबोगरीब अंतिम संस्कार आपके रोंगटे खड़े कर देगा। एक ऐसी जगह जहां लोग मौत के मात उसे जलाते या दफनाते नहीं है वो उसे सड़ाकर खा जाते हैं। जानकारी के अनुसार इंडो-यूरोपीय इलाकों में 8 साल पुरानी एक प्रथा है। इस प्रथा के अनुसार मरने के बाद लोगों के शवों को काटकर खा जाते हैं।

सड़ाकर खा जाते हैं शव!

कई लोग पहले इन शवों को सड़ाते हैं, फिर उस समय तक सड़ाते हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि  जब तक इस शरीर से पानी जैसा तरल पदार्थ ना निकलने लगे तब तक उसे सड़ाते हैं। कई इतिहासकारों का मानना है कि इस प्रथा को निभाने की वजह है। उनके अनुसार वो ऐसा इसलिए करते हैं ताक सड़े हुए शरीर से (तरल पदार्थ)  शराब बनाई जाती है। इतना ही नहीं वो अपने प्रियजनों की याद में  वो उसे पीते हैं।

ग्रामीण और आदिवासी समुदायों में प्रचलित 

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस प्रथा को खास कर इंडो-यूरोपीय इलाकों के ग्रामीण और आदिवासी समुदायों द्वारा निभाई जाती है। ऐसा नहीं है कि ये प्रथा ये कवल यहीं पर प्रचलित है बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में ये देखने को मिल जाती है। धर्म के रूप से तो ये उनका नियम है जिस पर हम कुछ नहीं कह सकते हैं लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शव को ऐसे रखना स्वास्थ्य और स्वच्छता दोनों ही रूप से सही नहीं है। कई रिसर्च में यह दावा किया गया है कि  यह प्रथा पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अच्छी हो सकती है, क्योंकि यह प्राकृतिक चक्र का हिस्सा बनती है।

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