Subrahmanya Shashthi Date 2025: कार्तिकेय सुब्रह्मण्य षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत रखने से भक्तों को शक्ति, बुद्धि, ज्ञान, संतान सुख और जीवन के सभी दुखों और नेगेटिविटी से मुक्ति मिलती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने राक्षस तारकासुर का वध किया था.
आइए जानतें हैं, इस साल सुब्रह्मण्य षष्ठी कब है, इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा का शुभ समय और महत्व क्या है, और इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा कैसे करें.
Subrahmanya Shashthi 2025: कार्तिकेय सुब्रह्मण्य षष्ठी, जिसे स्कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान कार्तिकेय को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से दक्षिण भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत रखने से भक्तों को शक्ति, बुद्धि, ज्ञान, संतान सुख और जीवन के सभी दुखों और नेगेटिविटी से मुक्ति मिलती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने राक्षस तारकासुर का वध किया था. इस साल सुब्रह्मण्य षष्ठी कब है, इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा का शुभ समय और महत्व क्या है, और इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा कैसे करें.
सुब्रह्मण्य षष्ठी कब है? (Subrahmanya Shashthi 2025)
मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मंगलवार, 25 नवंबर को रात 10:56 बजे शुरू हो रही है. यह गुरुवार, 27 नवंबर को रात 12:01 बजे खत्म होगी. इसलिए, उदया तिथि के अनुसार, सुब्रह्मण्य षष्ठी पूजा बुधवार, 26 नवंबर को की जाएगी.
सुब्रह्मण्य षष्ठी पूजा विधि 2025
- सुबह जल्दी उठें, नहाएं और साफ कपड़े पहनें.
- हाथ में पानी लेकर भगवान कार्तिकेय का ध्यान करें, और पूरे दिन व्रत रखने का संकल्प लें.
- पूजा की जगह पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर लगाएं.
- भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियां भी रखें.
- भगवान कार्तिकेय का गंगाजल, दूध और दही से अभिषेक करें.
- उन्हें चंदन का लेप, रोली, चावल के दाने, फूल, धूप और दीपक चढ़ाएं.
- इसके बाद, भगवान कार्तिकेय के दो सबसे प्रिय मंत्रों ‘ॐ श्री सुब्रह्मण्य स्वामी नमः’ या ‘ॐ शरवण भवाय नमः’ का जाप करें..
- इसके अलावा, कार्तिकेय चालीसा या स्कंद षष्ठी कवच का पाठ करना बहुत शुभ होता है.
- पूजा के आखिर में भगवान कार्तिकेय की आरती करें. प्रसाद के तौर पर प्रसाद बांट दें.
सुब्रह्मण्य षष्ठी शुभ समय (Subrahmanya Shashthi 2025 Puja Time)
सुब्रह्मण्य षष्ठी पर, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:37 बजे से 5:30 बजे तक रहेगा, जो पवित्र स्नान के लिए बहुत शुभ समय है. वहीं, विजय मुहूर्त दोपहर 1:33 बजे से 2:16 बजे तक शुभ कामों के लिए आदर्श माना जाता है.
सुब्रह्मण्य षष्ठी 2025 का महत्व (Subrahmanya Shashthi 2025 Importance)
यह दिन भगवान कार्तिकेय की राक्षस तारकासुर पर जीत का प्रतीक माना जाता है. इसलिए, यह व्रत रखने से व्यक्ति को अपने दुश्मनों और जीवन की सभी चुनौतियों से निपटने की ताकत और आत्मविश्वास मिलता है. भगवान कार्तिकेय को ज्ञान और शक्ति का देवता माना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत से संतान चाहने वाले लोगों को संतान का आशीर्वाद मिलता है.
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