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दुनिया का सबसे भारी शिवलिंग चुटकियों में मनोकामना करता है पूरी, खास इतिहास के साथ भक्तों में प्रसिद्ध

Simran Singh • LAST UPDATED : August 3, 2024, 12:28 pm IST

Pardeshwar Mahadev

India News(इंडिया न्यूज), Pardeshwar Mahadev: सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। जहां देश में आपको तरह-तरह के शिव मंदिर देखने को मिलेंगे। वहीं हमारे देश में एक अनोखा और इकलौता शिव मंदिर भी है जो भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह शिव मंदिर गुजरात के सूरत में स्थित है। पाल अटल आश्रम में पारदेश्वर महादेव का शिवलिंग सूरत के शिव भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह शिवलिंग पूरी तरह से पारे से बना है। इस मंदिर में बने शिवलिंग का वजन 2,351 किलोग्राम है जो पूरी तरह से पारे से बना है। शिव भक्तों का कहना है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।

  • क्या है पारदेश्वर महादेव का मंदिर
  • इस कारण से है लोगों के लिए खास

पारदेश्वर महादेव भक्तों के लिए है आर्कफन का क्रेंद Pardeshwar Mahadev

यह शिवलिंग हमेशा से ही शिव भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा है। खास तौर पर सावन के महीने में लोग इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। पारे से बने इस शिवलिंग के कारण ही मंदिर का नाम पारदेश्वर महादेव मंदिर पड़ा है। शास्त्रों में कहा गया है कि पारे के शिवलिंग की पूजा करने से रोग और परेशानियां दूर होती हैं।

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कैसें हुआ मंदिर का निर्माण

मंदिर के निर्माण की बात करें तो उसे वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया है। इस मंदिर का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया है। पारदेश्वर मंदिर के शिवलिंग के निचले हिस्से में शिवलिंग के नीचे से तांबे के तार के साथ 3 इंच के पीतल के पाइप से एक घंटी जुड़ी हुई है। इस घंटी को 45 फीट नीचे एक गड्ढा खोदकर स्थापित किया गया है, जहां से पानी को छुआ जा सकता है। दरअसल, नीचे वह स्थान है जहां नाभि है। इस तरह, पूरे शिवलिंग को 2351 किलो पारे से तैयार किया गया है। Pardeshwar Mahadev

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क्या है पारदेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास Pardeshwar Mahadev

जानकारी के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1977 में की गई थी, हालांकि, उस समय शिवलिंग का वजन केवल 51 किलो था। मोटा पारदेश्वर शिवलिंग की स्थापना वर्ष 2004 में की गई थी। इस शिवलिंग में 12 पारे के ज्योतिर्लिंग बहुत महत्वपूर्ण हैं। 1751 किलो के पारे वाले शिवलिंग में 600 किलो पारे के नीचे पीतल का हिस्सा है। सौराष्ट्र के समर्थ महंत गुरु महादेवगिरी बापू की प्रेरणा और बटुकगिरी स्वामी के प्रयासों से यहां पारे वाले शिवलिंग की स्थापना की गई है।

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