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इस पर्वत पर आज भी रहते हैं भगवान शिव! आती है घंटियों और डमरू बजने की आवाज? वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए रहस्य का पता

BY: Deepak • LAST UPDATED : January 21, 2025, 8:00 pm IST
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इस पर्वत पर आज भी रहते हैं भगवान शिव! आती है घंटियों और डमरू बजने की आवाज? वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए रहस्य का पता

Mount Kailash Myster

India News (इंडिया न्यूज), Mount Kailash Myster: हिमालय के सुदूर इलाकों में स्थित कैलाश पर्वत, सिर्फ एक राजसी चोटी नहीं है। यह रहस्य, आध्यात्मिकता और रहस्य से भरा हुआ स्थान है। तिब्बती पठार की चरम सुंदरता के बीच स्थित यह पर्वत लाखों लोगों द्वारा पूजनीय और अद्भुत रहस्यों से भरा हुआ है। इसकी समृद्ध किंवदंतियाँ और रहस्य मनुष्यों को आकर्षित करते हैं। भगवान शिव का निवास होने के कारण यह सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र है।

शिव पुराण, स्कंद पुराण और विष्णु पुराण जैसे हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है। भगवान शिव यहाँ माता पार्वती के साथ निवास करते हैं। कैलाश पर्वत जितना पूजनीय है, उतना ही रहस्यमय भी है। आज तक कोई भी इंसान कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया है। वैज्ञानिक भी कैलाश पर्वत के रहस्यों को नहीं जान पाए हैं। लोगों ने कई बार इस पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। आज हम आपको कैलाश पर्वत के कुछ रहस्यों के बारे में बताएंगे।

आखिर क्यों कोई भी इस पर नहीं चढ़ पाया है?

कैलाश पर्वत की ऊंचाई माउंट एवरेस्ट से दो हजार मीटर कम है। माउंट एवरेस्ट 8,849 मीटर ऊंचा है, जिस पर हजारों लोग चढ़ चुके हैं, लेकिन 6,638 मीटर ऊंचे कैलाश पर्वत की चोटी पर कोई नहीं चढ़ पाया है। यह एक ऐसा रहस्य है, जिसका आज तक पता नहीं चल पाया है। माना जाता है कि भगवान शिव कैलाश पर्वत के स्वामी हैं। भगवान भोलेनाथ यहां माता पार्वती और अपने अनुयायियों के साथ निवास करते हैं। कैलाश पर्वत पर कई शोध किए जा चुके हैं, लेकिन रहस्य आज तक अनसुलझा है।

पृथ्वी का केंद्र बिंदु है कैलाश

पृथ्वी के एक छोर पर उत्तरी ध्रुव और दूसरे छोर पर दक्षिणी ध्रुव स्थित है। इन दोनों ध्रुवों के बीच हिमालय स्थित है, जिसके केंद्र में कैलाश पर्वत स्थित है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि कैलाश पर्वत पृथ्वी का केंद्र बिंदु है। हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म के लोगों के लिए भी कैलाश पर्वत का विशेष महत्व है। कैलाश पर्वत के आसपास कोई बड़ा पर्वत नहीं है। शोध में वैज्ञानिक भी इस रहस्य को नहीं सुलझा पाए हैं कि ऐसा क्यों है। कैलाश पर्वत के आसपास अलौकिक ऊर्जा

वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि कैलाश पर्वत के आसपास अलौकिक ऊर्जा है। इसी के कारण यहां कोई नहीं पहुंच पाता। कई बार वैज्ञानिकों ने यह जानने की कोशिश की, लेकिन कोई भी आसानी से यहां नहीं पहुंच पाया। सिद्धि प्राप्त कर चुके तिब्बत के कई संतों का कहना है कि कैलाश पर्वत पर केवल पुण्यात्माएं ही निवास कर सकती हैं। कैलाश पर्वत के आसपास अलौकिक शक्तियों का प्रवाह होता है। इसी के कारण सिद्धि प्राप्त करके ही टेलीपैथी के माध्यम से आस-पास रहने वाले आध्यात्मिक गुरुओं से संपर्क किया जा सकता है।

स्वास्तिक के आकार वाली झीलें

कैलाश पर्वत के पास दो रहस्यमयी झीलें स्थित हैं। ये स्वस्तिक की तरह दिखती हैं। पहली झील का नाम मानसरोवर है, जिसका आकार सूर्य जैसा है। मानसरोवर दुनिया की शुद्ध पानी की सबसे ऊंची झील है। दूसरी झील चंद्रमा के समान है, जिसका नाम राक्षस झील है। यह खारे पानी की सबसे ऊंची झील है। इन दोनों का संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। वैज्ञानिक आज तक इन झीलों के रहस्य को नहीं सुलझा पाए हैं। वैज्ञानिक अभी तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि ये प्राकृतिक हैं या मानव निर्मित। सबसे बड़ी खासियत यह है कि दक्षिण दिशा से देखने पर इन दोनों झीलों के मिलने से स्वास्तिक की आकृति बनती है।

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आती है ओम और डमरू की ध्वनि

कहते हैं कि कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के आसपास हमेशा डमरू की ध्वनि सुनाई देती है। इसके साथ ही ओम की ध्वनि भी गूंजती है। वैज्ञानिक आज तक इन ध्वनियों के बारे में कुछ नहीं बता पाए हैं। जब ये ध्वनियां दूर से सुनाई देती हैं तो ऐसा लगता है कि शायद कोई विमान उड़ रहा है, लेकिन जब आंखें बंद करके और ध्यान लगाकर इन ध्वनियों को सुना जाता है तो डमरू और ओम की ध्वनि स्पष्ट सुनाई देती है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये ध्वनियां पिघलती बर्फ की हो सकती हैं।

कैलाश पर्वत पर दिखती हैं सात तरह की रोशनियां

लोगों का कहना है कि कैलाश पर्वत पर सात तरह की रोशनियां दिखाई देती हैं। लोगों का कहना है कि रात के समय कैलाश पर्वत पर सात तरह की रंग-बिरंगी रोशनियां दिखाई देती हैं। इन रोशनियों का प्रभाव अद्भुत होता है।

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