संबंधित खबरें
'सबसे सुंदर साध्वी' पर अनिरुद्धाचार्य ने ये क्या कह डाला? बताया 'वेश्याओं और भक्ति' से जुड़ा इतिहास!
मरे हुए इंसान क्यों नही छोड़ते अकेला, जानिए क्या है इसके पिछे की बड़ी वजह, कांप जाएगी रूह!
महाकुंभ में कर लिया स्नान, भूलकर कर भी न लाएं ये चीजें, वरना पड़ेगा भारी नही मिलेगा यात्रा का पूरा फल!
आसमान में नजर आएगा 6 ग्रहों का खेला, ऐसा होगा नजारा, अद्भुत होगा असर रह जाएंगे हैरान!
इस मूलांक के जातकों के जागेंगे सोए हुए भाग्य, होगा इतना लाभ खुद भी नही कर पाएंगे भरोसा, जानें अंक ज्योतिष
Today Horoscope: इस 1 जातक को मिल सकता है आज अपना जीवन साथी, वही इन 3 राशियों के जीवन में बढ़ेंगी मुश्किलें, जानें 12 राशियों का आज का राशिफल
India News (इंडिया न्यूज),Bhagwan Ram:राजमहल में हर ओर उत्साह और उमंग की लहर दौड़ रही थी। भगवान राम के पिता राजकुमार दशरथ का आज नए राजा के रूप में राजतिलक होना था। हालांकि, राजकुमार दशरथ अभी-अभी अपनी बाल्यावस्था से बाहर निकले थे, लेकिन इतनी कम उम्र में उनका राजा बनना प्रजा के लिए अप्रत्याशित था। बालक के समान दिखने वाले राजकुमार दशरथ के कंधों पर अचानक इतने बड़े उत्तरदायित्व का भार आ जाएगा, यह उन्होंने स्वयं भी नहीं सोचा था।
लेकिन होनी को कौन टाल सकता है? राजकुमार दशरथ को अचानक राजा बनाने का निर्णय उनके पिता और भगवान राम के पितामह महाराज अज का था। परंतु इसके पीछे की वजह बहुत गहरी और भावुक थी।
राजकुमार दशरथ के राजतिलक से लगभग 15 वर्ष पहले, महाराज अज की पत्नी और दशरथ की माता इन्दुमति का स्वर्गवास हो गया था। महाराज अज अपनी पत्नी इन्दुमति से असीम प्रेम करते थे। उनकी मृत्यु के बाद महाराज अज के चेहरे पर कभी भी खुशी की एक झलक तक नहीं दिखी। उनका प्रत्येक क्षण इन्दुमति की याद में व्यतीत होता। उन्हें यह विश्वास था कि इन्दुमति भी स्वर्ग में उनकी तरह उनके प्रेम में तड़प रही होंगी। यही कारण था कि जैसे ही दशरथ ने अपनी बाल्यावस्था पूर्ण की, महाराज अज ने उन्हें सिंहासन पर बैठाने की घोषणा कर दी।
राजकुमार दशरथ के राजतिलक के दिन, महाराज अज ने प्रजा के समक्ष अपना अंतिम संदेश दिया। उन्होंने कहा”आज से अयोध्या के राजा दशरथ होंगे। मैं अब अपना जीवन त्यागकर सरयु नदी के किनारे तपस्या करूंगा।”यह सुनते ही राजकुमार दशरथ पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन महाराज अज अपने निर्णय पर अडिग रहे। उन्होंने सब कुछ त्याग दिया और सरयु नदी के किनारे तपस्या करने चले गए।
सरयु के किनारे रहकर महाराज अज ने अपने सभी सांसारिक सुखों और संपत्तियों का त्याग कर दिया। धीरे-धीरे समय बीतता गया, और महाराज अज शारीरिक रूप से दुर्बल हो गए।21 दिन बाद, जब उनका अंतिम समय निकट आया, तो एक अद्भुत घटना घटी। उनकी पत्नी इन्दुमति देवी के रूप में प्रकट हुईं।दुखी अवस्था में इन्दुमति ने महाराज से कहा, “इतना दर्द और इतनी पीड़ा एक महाराज को शोभा नहीं देती।”
इस पर महाराज अज ने कहा, “मेरा प्रेम तुमसे केवल शरीर का नहीं, आत्मा का है। जब तुम्हारी आत्मा मुझसे दूर हो गई, तब मेरी अधूरी आत्मा खुद को पूर्ण करने के लिए तड़प रही है।”इन्दुमति उनके इस सच्चे प्रेम से प्रसन्न हुईं और उनसे स्वर्ग चलने का अनुरोध किया। इस प्रकार महाराज अज ने अपनी सांसारिक यात्रा समाप्त की और अपनी प्रिय पत्नी इन्दुमति के साथ स्वर्ग प्रस्थान किया।
‘भारत रत्न मिलना चाहिए था’, परिवार के असंतोष जताने के बाद जीतन राम मांझी ने दोहराई मांग
हिमाचल प्रदेश में एक को राष्ट्रपति पुलिस पदक, 4 को पुलिस पदक, जानें सफलता की कहानी
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.