होम / खाटू श्याम को पूजने वाले जरूर जान ले! बर्बरीक के वो दो भाई जिन्होंने महाभारत मे निभाई थी अर्जुन की ओर से बेहद अहम भूमिका?

खाटू श्याम को पूजने वाले जरूर जान ले! बर्बरीक के वो दो भाई जिन्होंने महाभारत मे निभाई थी अर्जुन की ओर से बेहद अहम भूमिका?

Prachi Jain • LAST UPDATED : September 8, 2024, 7:35 pm IST

Story Of Khatushyam Ji’s Brothers: बर्बरीक के दो भाई अंजनपर्व और मेघवर्ण भी अत्यंत शक्तिशाली योद्धा थे। दोनों ने महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से भाग लिया था और अपनी वीरता का प्रदर्शन किया था। अंजनपर्व और मेघवर्ण का युद्ध में योगदान अविस्मरणीय था, लेकिन दुर्भाग्यवश, दोनों वीरगति को प्राप्त हुए।

India News (इंडिया न्यूज़), Story Of Khatushyam Ji’s Brothers: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। खाटू श्याम जी को ‘हारे का सहारा’ और ‘तीन तीर धारी’ जैसे नामों से जाना जाता है। उनकी कथा और महाभारत से जुड़ी उनकी कहानी अद्वितीय और प्रेरणादायक है, लेकिन कम लोग जानते हैं कि खाटू श्याम जी के दो वीर भाई भी थे—अंजनपर्व और मेघवर्ण।

खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक

महाभारत के युद्ध में, बर्बरीक, जिन्हें खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाता है, भी एक महत्वपूर्ण योद्धा थे। बर्बरीक भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे। उनकी शक्ति और वीरता इतनी अद्वितीय थी कि उनके पास केवल तीन बाण थे, जिनसे वे पूरा युद्ध जीत सकते थे। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर उन्होंने अपना सिर दान कर दिया, ताकि महाभारत का युद्ध सही और न्यायपूर्ण ढंग से लड़ा जा सके।

आज तक संसार में पैदा नहीं हुआ होगा महाभारत के इस पांडव जैसा गणेशभक्त, पाया था ये विशेष वरदान!

वीर भाइयों की भूमिका

बर्बरीक के दो भाई अंजनपर्व और मेघवर्ण भी अत्यंत शक्तिशाली योद्धा थे। दोनों ने महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से भाग लिया था और अपनी वीरता का प्रदर्शन किया था। अंजनपर्व और मेघवर्ण का युद्ध में योगदान अविस्मरणीय था, लेकिन दुर्भाग्यवश, दोनों वीरगति को प्राप्त हुए।

अंजनपर्व की वीरगति

महाभारत के युद्ध के 14वें दिन, कर्ण ने घटोत्कच का वध कर दिया था। उसी दिन, गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा ने अंजनपर्व का वध किया। अंजनपर्व का पराक्रम और उनकी वीरता युद्ध के मैदान में असाधारण थी, लेकिन अश्वथामा के साथ हुए संघर्ष में वे वीरगति को प्राप्त हुए।

अगर गणपति पूजा में बप्पा को नहीं चढ़ाई ये चीज तो कभी सफल नहीं होगी पूजा…विष्णु-ब्रह्मा से हैं गहरा सम्बन्ध?

मेघवर्ण का बलिदान

उधर, मेघवर्ण और वनसेन के बीच भीषण युद्ध हुआ। दोनों ही योद्धाओं ने अद्वितीय पराक्रम का प्रदर्शन किया, लेकिन अंततः मेघवर्ण वीरगति को प्राप्त हुए। उनका बलिदान महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय के लिए महत्वपूर्ण था।

खाटू श्याम जी की महिमा

खाटू श्याम जी को उनकी दानशीलता और महानता के लिए पूजा जाता है। उन्होंने अपने सिर का दान कर यह दिखाया कि सच्चे वीर वही होते हैं, जो निःस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। उनके दो भाइयों, अंजनपर्व और मेघवर्ण, की वीरता भी इस कथा को और समृद्ध बनाती है। इन दोनों ने युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी और धर्म की रक्षा के लिए लड़ते हुए अपना बलिदान दिया।

यह कथा हमें सिखाती है कि धर्म और न्याय के लिए लड़ी गई लड़ाई में सच्चा बलिदान और वीरता ही सबसे बड़ा योगदान होता है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

पेट में पचता नहीं बल्कि सड़ता है खाना…आयुर्वेद के इन 4 ब्रह्मास्त्र नियमों को जो अपना लिया एक बार तो जड़ से खत्म हो जाएगा कब्ज़!
MP News: प्रेमी जोड़े ने पुल से नदी में लगाई छलांग, तलाश में जुटी SDRF की टीम
Chhattisgarh News: खेत में दवा छिड़कने गए किसान की करंट लगने से मौत, भू- माफियाओं पर लगा गंभीर आरोप
दुल्हन के सामने दामाद ने सास को बताया ‘चांद सा हसीन’, फिर हुआ कुछ ऐसा कि वायरल हो गया Video
‘महिलाओं के कपड़े…नग्न तस्वीरें’, इस पुलिसकर्मी ने एक नहीं बल्कि कई महिलाओं के साथ की दरिंदगी की हदें पार
1986 में जब सड़कों पर उतर गया था पूरा बॉलीवुड, हड़ताल का कर दिया था ऐलान, देखें वीडियो
‘तिरुपति के लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी… ‘, जगन सरकार पर आंध्र सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर लगाए आरोप
ADVERTISEMENT