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तिरुपति बालाजी मंदिर में सबसे पहले कौन चढ़ाया था लड्डडू? क्या आपको पता है इस कहानी के बारे में

BY: Himanshu Pandey • LAST UPDATED : September 20, 2024, 11:55 pm IST
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तिरुपति बालाजी मंदिर में सबसे पहले कौन चढ़ाया था लड्डडू? क्या आपको पता है इस कहानी के बारे में

Tirupati laddu Controversy: तिरुपति लड्डू विवाद से पहले शिरडी के साईं बाबा के लड्डू पर हुआ था विवाद

India News (इंडिया न्यूज),Tirupati Balaji Laddu: तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। तिरुपति मंदिर में भक्त दिल खोलकर दान करते हैं और सोना, चांदी और पैसे चढ़ाते हैं। हर दिन लाखों भक्त तिरुपति बालाजी मंदिर आते हैं। भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने के लिए यहां भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है। तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुमाला की पहाड़ी पर स्थित है। तिरुपति बालाजी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित मूर्ति को भगवान वेंकटेश्वर, वेंकटेश, तिरुपति स्वामी और तिरुपति बालाजी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां अपनी मनोकामना लेकर आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते। तिरुपति बालाजी मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है। यही वजह है कि भक्त तिरुपति बालाजी के दर्शन करने के लिए हर दिन लंबी लाइन से गुजरते हैं और भगवान वेंकटेश के सामने अपनी अधूरी इच्छा रखते हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू का क्या है महत्व?

तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाला प्रसाद लड्डू काफी मशहूर है। इसे एक विशेष प्रसाद माना जाता है। तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को लड्डू का भोग लगाया जाता है। इन लड्डुओं को आध्यात्मिकता और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। प्रसादम लड्डू को तिरुपति बालाजी की कृपा के रूप में भी देखा जाता है। तो आइए अब जानते हैं कि भगवान वेंकटेश्वर को सबसे पहले लड्डू किसने चढ़ाया और कैसे लड्डू तिरुपति बालाजी का महाप्रसाद बन गया।

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तिरुपति बालाजी मंदिर में सबसे पहले लड्डू किसने चढ़ाया?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब तिरुमाला की पहाड़ियों पर भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति स्थापित की जा रही थी, तो मंदिर के पुजारियों में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति थी कि भगवान वेंकटेश्वर को प्रसाद के रूप में क्या चढ़ाया जाए। उसी समय एक बूढ़ी माता हाथ में लड्डुओं की थाली लेकर मंदिर में आई और सबसे पहले भोग लगाने की मांग की। तब पुजारियों ने बूढ़ी महिला द्वारा दिए गए लड्डू को भगवान को अर्पित किया। इसके बाद पुजारियों ने प्रसाद के रूप में उस भोग को ग्रहण किया। लड्डुओं का स्वाद इतना अद्भुत और दिव्य था कि वे आश्चर्यचकित हो गए। तब पुजारियों ने बूढ़ी माता से लड्डू बनाने की विधि पूछी। बूढ़ी माता ने लड्डू बनाने की विधि बताई और कुछ ही पलों में वहां से अंतर्ध्यान हो गईं। कहा जाता है कि प्रसाद का संकेत देने में स्वयं माता लक्ष्मी ने मदद की थी। तभी से तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में ये लड्डू बनाए जाने लगे।

यह भी माना जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर ने स्वयं मंदिर के पुजारियों को लड्डू बनाने की विधि बताई थी। तभी से भगवान वेंकटेश्वर को विशेष प्रसाद के रूप में लड्डू चढ़ाए जाने लगे और इसे भक्तों में बांटा भी जाने लगा।

तिरुपति बालाजी के लड्डुओं से जुड़ी मान्यताएं

एक अन्य पौराणिक कथा यह है कि भगवान वेंकटेश्वर को देवी पद्मावती से विवाह करने के लिए धन की आवश्यकता थी, तब उन्होंने कुबेर देवता से ऋण लिया था। धार्मिक मान्यता है कि उस ऋण को चुकाने के लिए वेंकटेश्वर आज भी धरती पर मौजूद हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों द्वारा जो भी दान और चढ़ावा चढ़ाया जाता है, भगवान वेंकटेश्वर उसे अपनी हुंडी में भर लेते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भक्त भगवान को दान करते हैं और बदले में प्रसादम लड्डू पाते हैं। दान और चढ़ावे के बदले में भगवान तिरुपति बालाजी के आशीर्वाद के रूप में भक्तों को लड्डू दिए जाते हैं। भगवान के भक्तों को उनके आशीर्वाद के रूप में प्रसादम लड्डू दिए जाते हैं और बदले में भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार दान करते हैं।

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