Live
Search
Home > धर्म > Trilokinath Temple Himachal: त्रिलोकीनाथ मंदिर में हिंदू और बौद्ध दोनों ही करते हैं पूजा, आखिर क्या है मान्यता?

Trilokinath Temple Himachal: त्रिलोकीनाथ मंदिर में हिंदू और बौद्ध दोनों ही करते हैं पूजा, आखिर क्या है मान्यता?

Trilokinath Temple Himachal: हिमाचल में प्रकृति की गोद में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है,जहां हिंदू और बौध्द एक साथ पूजा करते हैं. यहां की मान्यता काफी पुरानी है.

Written By: Pushpendra Trivedi
Last Updated: December 30, 2025 15:26:49 IST

Trilokinath Temple Himachal: हिमाचल प्रदेश देव स्थानों के लिए काफी फेमस है. यहां की देवभूमि में आस्था और सांस्कृतिक एकता का एक बेजोड़ नमूना आज भी लोगों की आस्था का केंद्र है. इस जगह पर हिंदू और बौद्ध परंपराएं एक ही स्थान पर मिलती हैं. लाहौल-स्पीति जिले की ऊंची और बर्फीली वादियों के बीच स्थित त्रिलोकीनाथ मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यहां पर दो धर्म की मान्यताओं का अस्तित्व भी माना जाता है. भगवान शिव को समर्पित यह प्राचीन मंदिर बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए भी उतना ही पूज्यनीय है, जितना कि हिंदुओं की आस्था है. 

तीनों लोकों के नाथ है बाबा 

बता दें कि भगवान शिव को तीनों लोगों का स्वामी कहा जाता है. इसलिए इन्हें त्रिलोकीनाथ कहा जाता है. बौद्ध धर्म के लोग यहां भगवान शिव को अवलोकितेश्वर के रूप में पूजते हैं. बड़ी तादात में हर साल पर्यटक और श्रद्धालु इस पवित्र स्थान पर जाकर भगवान के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं. भक्त हिमालय की गोद में बसे इस मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं. यह मंदिर अपनी अनोखी मान्यताओं, पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक महत्व की वजह से देश-विदेश के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है. लोग यहां पहुंचकर प्राकृतिक नजारों को देखते हैं. साथ ही शांति का आनंद लेते हैं.

त्रिलोकीनाथ मंदिर की प्रमुख विशेषताएं

इसे हिमाचल का सबसे पुराना और पवित्र मंदिर माना जाता है. वहीं, मंदिर की वास्तुकला की बात की जाए तो यह काठ-कुनी शैली से बना है. मंदिर में पत्थर और लकड़ी का यूज किया गया है. इसमें शानदार कॉम्बिनेशन देखने को मिलता है. मंदिर परिसर में शांत वातावरण, बर्फ से ढकी पहाड़ियां और बहती नदियां इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा को और बढ़ा देती हैं. मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि त्रिलोकीनाथ मंदिर में दर्शन करने से सभी कष्ट दूर होते हैं. भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस मंदिर में संतान सुख, रोग निवारण और मानसिक शांति के लिए पूजा-अर्चना की जाती है. 

त्रिलोकीनाथ मंदिर की पौराणिक कथा

पुराणों की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस स्थान पर तपस्या की थी और तीनों लोकों स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल की रक्षा के लिए यहां प्रकट हुए थे. इसी कारण से इन्हें त्रिलोकीनाथ कहा गया. एक अन्य कथा के मुताबिक, यह स्थान करुणा और दया के प्रतीक अवलोकितेश्वर से जुड़ा हुआ है, जो बौद्ध धर्म में सभी जीवों के दुख हरने वाले माने जाते हैं. आप को भी एक बार जीवन में इन त्रिलोकीनाथ भगवान के दर्शन करने चाहिए.

नोट- यहां दिया गया लेख सिर्फ शिक्षा और जानकारी के उद्देश्य से है. India News किसी तरह की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाता.

MORE NEWS