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Tulsi Puja Ke Niyam: तुलसी पूजा करना किन दिनों और तिथियों में वर्जित होता है? जानें इससे जुड़े कुछ नियम

Tulsi Plant Ke Niyam: सनातन धर्म में तुलसी पूजन का बहुत महत्व होता है लेकिन कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए. तो आइए जानते हैं तुलसी पूजन से जुड़े कुछ नियमों के बारे में.

Written By: Shivi Bajpai
Last Updated: October 4, 2025 11:38:46 IST

Tulsi Puja Niyam: सनातन धर्म में तुलसी पूजा का खास महत्व है. इनकी देवी के रूप में पूजा की जाती है. तुलसी माता की पूजा करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है. हिंदू धर्म में तुलसी माता का विशेष महत्व है. तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और इसकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. रोज़ाना तुलसी को जल चढ़ाना और दीपक जलाना शुभ फलदायी माना गया है. मान्यता है कि तुलसी माता को प्रसन्न करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है. हालांकि, शास्त्रों में तुलसी पूजा के कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है. कुछ दिनों और तिथियों पर तुलसी पूजा वर्जित मानी जाती है.

तुलसी पूजा किन दिनों वर्जित है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि को तुलसी पूजा नहीं करनी चाहिए. विशेषकर देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक तुलसी विवाह तक तुलसी परंपरागत पूजा से बचना चाहिए. इसके अलावा संध्या के समय तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि यह काल असुरों का माना गया है और इस समय पूजा करना शुभ नहीं होता.

शनिवार और रविवार को नियम

शनिवार और रविवार के दिन तुलसी माता को हाथ नहीं लगाना चाहिए. मान्यता है कि इन दिनों तुलसी के पौधे को छूने से पुण्य कम हो जाता है. हां, सुबह-शाम दीपक जलाना और जल अर्पित करना अलग बात है, परंतु पत्तियां तोड़ना वर्जित है.

अमावस्या और संक्रांति पर वर्जना

अमावस्या और संक्रांति तिथि पर तुलसी माता को जल अर्पण और पूजा नहीं की जाती. इन दिनों पूजा करने से अपेक्षित फल प्राप्त नहीं होता. यही कारण है कि इन तिथियों पर लोग तुलसी के पास सिर्फ दीपक जलाते हैं और मौन प्रार्थना करते हैं.

तुलसी पूजा से जुड़े सामान्य नियम

तुलसी को हमेशा तांबे या मिट्टी के पात्र में जल अर्पित करें.

तुलसी पत्तियां तोड़ते समय ध्यान रखें कि गुरुवार को उन्हें तोड़ना अशुभ माना जाता है.

तुलसी के पौधे को पैरों से छूना या उसके ऊपर गंदगी फैलाना बड़ा दोष माना गया है.

तुलसी को प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद ही जल अर्पित करें.

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