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कब है Tulsi Vivah? जानें इस पर्व का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व

Tulsi Vivah 2025: सनातन धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है, ऐसे में आइए जानें कि यह पावन त्योहार कब है और साथ ही जानें इसके शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में.

Written By: shristi S
Last Updated: October 29, 2025 09:20:52 IST

Tulsi Vivah Date and Time: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व होता है. यह महीना अपने साथ त्योहारों का भंडार लेकर आता है दिवाली, छठ जैसे महापर्व के बाद आता है तुलसी विवाह. यह पाव पर्व शुक्ल पक्ष की  द्वादशी तिथि में मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और मां तुलसी के पवित्र मिलन का पर्व माना जाता है। यह विवाह न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ है बल्कि यह दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने वाला भी माना गया है. 

तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व

हिंदू परंपरा के अनुसार, तुलसी विवाह के दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागृत होते हैं. इस दिन के बाद से ही सभी मांगलिक कार्यों और विवाहों की शुरुआत मानी जाती है. तुलसी और शालिग्राम का यह दिव्य मिलन भक्ति, पवित्रता और वैवाहिक एकता का प्रतीक है. धार्मिक मान्यता यह भी है कि जो भक्त सच्चे मन से तुलसी विवाह का आयोजन करते हैं, उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन और संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है. विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं मनचाहा वर पाने की कामना करती हैं.
 

तुलसी विवाह 2025 का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि इस वर्ष 2 नवंबर 2025 (रविवार) को मनाई जाएगी. यह तिथि प्रातः 7:31 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 3 नवंबर 2025 को सुबह 5:07 बजे तक रहेगी. इस दिन विशेष योगों का भी संयोग बन रहा है —

  • त्रिपुष्कर योग: सुबह 7:31 बजे से शाम 5:03 बजे तक.
  • सर्वार्थसिद्ध योग: शाम 5:03 बजे से अगले दिन सुबह 6:07 बजे तक.

इन दोनों योगों को किसी भी शुभ कार्य, विशेषकर विवाह और व्रत के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है.

तुलसी विवाह की विधि-विधान से पूजा कैसे करें

तुलसी विवाह को संपन्न करने से पहले साधक को स्नान-ध्यान कर स्वयं को शुद्ध और पवित्र करना चाहिए. इसके बाद घर के आंगन या पूजा स्थल पर तुलसी के पौधे को रखें और उसके चारों ओर सुंदर रंगोली बनाएं. अब तुलसी माता को चूड़ी, चुनरी, बिंदी, और श्रृंगार सामग्री से सजाएं. उनके दाहिनी ओर भगवान शालिग्राम को स्थापित करें जो भगवान विष्णु का प्रतीक माने जाते हैं. इसके बाद दोनों को गंगाजल या पवित्र जल से स्नान कराएं, फिर रोली, चंदन, पुष्प और फल अर्पित करें. दीपक जलाकर धूप दिखाएं और तुलसी विवाह के पारंपरिक मंत्रों का सात बार परिक्रमा करते हुए पाठ करें. अंत में आरती करें और प्रसाद का वितरण करें.

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