India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat: कुरुक्षेत्र में लड़े गए महाभारत युद्ध में लगभग हर राज्य के राजा और उनकी सेनाएं शामिल हुई थीं। कुछ ऐसे भी थे जो इस युद्ध में जाने से पीछे हट गए थे। लाखों सैनिक सुबह से शाम तक युद्ध करते थे। शाम को युद्ध विराम के बाद कौरव और पांडव दोनों पक्षों के लोग एक साथ भोजन करते थे। इस युद्ध में एक राजा ऐसा भी था जो मैदान में रहने के बजाय हर रोज रसोई में रहकर सैनिकों को भोजन कराकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
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शाम को युद्ध विराम के बाद कौरव और पांडव दोनों पक्षों के लोग एक साथ भोजन करते थे। इस युद्ध में उडुपी के राजा वासुदेव का अनुमान इतना सटीक था कि वह हर रोज लाखों सैनिकों के लिए खाना बनाते थे। और उनका बनाया हुआ खाना न तो कम होता था और न ही अधिक। सूर्योदय होते ही हजारों रसोइये भोजन कक्ष में भोजन तैयार करना शुरू कर देते थे। उडुपी के राजा भोजन में इस्तेमाल होने वाले अनाज और मसालों की मात्रा का ध्यान रखते थे।
उडुपी के राजा युद्ध में किसी भी पक्ष के खिलाफ लड़ना नहीं चाहते थे, इसलिए श्री कृष्ण के सुझाव पर उन्होंने भोजन पकाने और परोसने की सेवा चुनी। ऐसा माना जाता है कि उडुपी के राजा ने पांडवों को भोजन की सटीक गणना का रहस्य बताया था। उन्होंने कहा कि मैं हर रात मूंगफली छीलता हूं। श्री कृष्ण जितनी मूंगफली खाते हैं, उससे मुझे अगले दिन युद्ध में मरने वाले सैनिकों की संख्या का अंदाजा हो जाता है। उनकी गणना के अनुसार, 5 मूंगफली का मतलब 50 हजार सैनिकों की मौत है।
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