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Vastu Tips For New Born किसी भी इंसान के लिए माता-पिता बनना एक सुखद अनुभव प्रदान करता है। अकसर हम नन्हें मेहमान के आगमन से पूर्व ही उसके भविष्य की योजनाएं बनाने में लग जाते है। ताकि बड़ा होने पर उसे किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े और वह अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
आज हम आपको वास्तु शास्त्र के अनुसार न्यू बॉर्न बेबी के लिए घर को सजाने के तरीके बात रहे है ताकि किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव आपके बच्चे पर न पड़े और जीवन भर वह स्वस्थ और मस्त रहे।
उगते सूरज को सब सलाम करते है। इसलिए सबसे पहले बच्चे के कमरे का स्थान तय करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि कमरे में सूरज की किरणों का वास हो। वास्तु के अनुसार उगते सूरज की किरणें सकारात्मक ऊर्जा की शुरूआत करने के अलावा बच्चे के कमरे के अधिकांश कीटाणुओं को मार देती हैं।
जब भी कमरे में बेड लगाया जाए तो सबसे पहले उसकी दिशा तय करे। वास्तु अनुसार उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में बेड को लगाना शुभ माना गया है। इससे आपके बच्चे को नींद भी अच्छी आएंगी और नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से बच्चा दूर रहेगा। इसलिए बेड की सही दिशा का चयन करना आवश्यक है।
पालने में झुूलना किसे पंसद नहीं। बच्चे के घर आते ही हम उसके लिए पालना अवश्य खरीद कर लाते है। ताकि बच्चा आंनद ले सके। वास्तु शास्त्र में पालने की दिशा और स्थान के बारे में भी बताया गया है। पालना दीवार से 2 से 3 फीट की दूरी पर होना चाहिए और इसे कमरे के ठीक दक्षिण-पश्चिम में रखा जाना चाहिए।
दक्षिण या पश्चिम दिशा में हो सिर (Vastu Tips For New Born)
वास्तु के अनुसार बच्चे का बेड कुछ इस तरह से सेट करें कि सोते समय बच्चे का सिर दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में उचित संतुलन जो वायु तत्व से जुड़ा है, शिशुओं में सांस संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद करता है। कोशिश करें कि बच्चों को इस दिशा में अधिक से अधिक समय रखें।
घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव के लिए बच्चे के कमरे में सेंधा नमक जरूर रखें। सेंधा नमक कमरे में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बच्चे के लिए वरदान साबित होगा। ध्यान रखें कि नमक को प्रतिदिन बदलें।
वास्तु शास्त्र में बच्चे के कमरे के रंग के बारे में भी बताया गया है। इसलिए जब भी आप कमरे को पेंट करवाएं तो गहरे और भारी रंगों के चयन से परहेज करे। बच्चे के कमरे में हलका रंग करवाए।
जब बच्चा मां के पेट में होता है तो अकसर घरों में मां के कमरे बच्चों की पेंटिंग और फोटो से सजाया जाता है ताकि पेट में पलने वाला बच्चा सुंदर पैदा हो। इसी तरह बच्चे के जन्म के बाद भी उसके कमरे में अध्यात्म, शांति और प्रेणना दायक पेंटिंग लगानी चाहिए। वास्तु शास्त्र अनुसार यह पेंटिंग बच्चे के मानसिक विकास में सहायक होती है।
वास्तुशास्त्र के माध्यम से माता-पिता अपने बच्चों के समग्र विकास में एक अतिरिक्त सहायता प्रदान कर सकते हैं। यह केवल तभी प्रदान किया जा सकता है जब माता-पिता के बीच सामंजस्य और समन्वय अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर हो।
(Vastu Tips For New Born)
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