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Vishnu Puran Katha: प्रलय का संकेत देती है ये भीषण गर्मी, विष्णु पुराण में लिखी इस बात ने सबको किया हैरान-Indianews

BY: Shalu Mishra • LAST UPDATED : May 30, 2024, 10:48 am IST
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Vishnu Puran Katha: प्रलय का संकेत देती है ये भीषण गर्मी, विष्णु पुराण में लिखी इस बात ने सबको किया हैरान-Indianews

Vishnu puran katha

India News(इंडिया न्यूज), Vishnu Puran Katha: पूरा उत्तर भारत लू की चपेट में है। इस भीषण गर्मी से हर कोई परेशान है। विष्णु पुराण में गर्मी को लेकर भविष्यवाणी की गई है। विष्णु पुराण के अनुसार बढ़ती भीषण गर्मी प्रलय का संकेत भी है। इसके अलावा गर्मी के बढ़ते प्रकोप के बारे में विष्णु पुराण में कई चौंकाने वाली बातें भी लिखी गई हैं। आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं कि विष्णु पुराण में इसके क्या उल्लेख देखने को मिलते हैं।

विष्णु पुराण में देखने को मिलता है उल्लेख 

इस संसार में जो कुछ भी होने वाला है, उन सभी घटनाओं का उल्लेख हमें पुराणों में मिलता है। विष्णु पुराण में भी हमें जीवन-मृत्यु से लेकर कई ऐसी घटनाओं के बारे में जानकारी मिलती है, जो हमारे आसपास घट रही हैं। जैसे, विष्णु पुराण में धन के बारे में लिखा गया है कि भविष्य में धन ही ईश्वर बन जाएगा और लोग ईश्वर को छोड़कर धन को पूजने लग जाएंगे। इसी तरह विष्णु पुराण में मौसम और प्रकृति के सम्बधों के बारे में भी उल्लेख मिलता है। बढ़ती गर्मी को लेकर विष्णु पुराण में ऐसी बातें लिखीं गई हैं, जो सच होती नजर आ रही हैं।

लू की चपेट में उत्तर भारत 

जून के महीने में बढ़ती गर्मी के कहर से हर कोई परेशान है। पूरा उत्तर भारत लू की चपेट में है। नौतपा की वजह से लोग घरों से बाहर निकलने में भी कतराने लगे हैं। वहीं, मौसम विभाग के मुताबिक, 29 मई तक राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सीवियर हीटवेव का दौर जारी रहने की आशंका है। इन सभी आशंकाओं के बीच विष्णु पुराण की भविष्यवाणियां सच होती हुई नजर आ रही हैं।​विष्णु पुराण के अनुसार देवलोक और भूलोक में समय अलग तरह से चलता है

विष्णु पुराण के अनुसार समय देवलोक में अलग तरह से चलता है। धरती पर 12 महीने का एक वर्ष होता है लेकिन देवलोक में दिन-रात 12 महीने के बराबर होते हैं। वहीं, तीन सौ साठ वर्षों का देवताओं का एक वर्ष होता है। बारह हजार दिव्य वर्षोंका एक चतुर्युग होता है। ऐसे में भूलोक यानी पृथ्वी पर महीनों के अनुसार मौसम में परिवर्तन देखने को मिलता है लेकिन देवलोक में यह परिवर्तन भूलोक की तुलना में सदियों बाद होते हैं, जो किसी विशेष घटना का सूचक भी है।

प्रलय का संकेत

पुराण के अनुसार जब एक चतुर्युग बीतने पर पृथ्वी क्षीणप्राय (exhausted) हो जाती है, तो 100 वर्षों तक सूखा पड़ने लग जाता है। इसका असर पूरे संसार पर पड़ता है। पृथ्वी की उर्वरक क्षमता समाप्त हो जाती है, जिससे फसलें नष्ट होने लग जाती है। प्राणी सजीव होकर भी निर्जीव होने लगते हैं। उनकी शारीरिक शक्ति कम होने लग जाती है। भीषण गर्मी से चारों तरफ सूखा-सूखा ही दिखाई देता है। पानी की कमी होने लगती है और त्वचा भी सूख जाती है।

विष्णु पुराण के अनुसार जब पृथ्वी भीषण गर्मी से जूझ रही होती है, तो यह प्रलय का संकेत भी है। तब भगवान विष्णु सूर्य की सातों किरणों में स्थित होकर सम्पूर्ण जल को खुद में सोख लेते हैं और समुद्र, नदियों, पर्वतीय क्षेत्रों से नमी और जल पूरी तरह से सोख लेते हैं। तब भगवान के प्रभाव से जलपान से युक्त होकर वे सातों सूर्यरश्मियां सात सूर्य बन जाती हैं।
पृथ्वी पर भीषण गर्मी जनजीवन के अंत का भी संकेत है। उस समय ऊपर-नीचे सब ओर तेज प्रकाश होता है क्योंकि सातों सूर्य किरणें भूलोक से लेकर पाताल तक सम्पूर्ण त्रिलोकी को भस्म कर डालते है। पूरी दुनिया नदी, पहाड़, वन सब सपाट होकर समाप्त हो जाते हैं। पृथ्वी किसी कछुए की पीठ की तरह कठोर हो जाती है। इस तरह भीषण गर्मी धरती के अंत का संकेत भी है। विष्णु पुराण के अनुसार गर्मी और फिर सूखे की स्थिति से जूझते हुए पृथ्वी प्रलय की तरफ बढ़ रही है।

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