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ऐसी भी क्या आन पड़ी जो देवताओं को छिपाने पड़ गए थे कर्ण के कवच? आज भी इस जगह पर है मौजूद!

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : November 14, 2024, 10:34 am IST
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ऐसी भी क्या आन पड़ी जो देवताओं को छिपाने पड़ गए थे कर्ण के कवच? आज भी इस जगह पर है मौजूद!

Karna’s Kavach Kundal: ऐसी भी क्या आन पड़ी जो देवताओं को छिपाने पड़ गए थे कर्ण के कवच?

India News (इंडिया न्यूज), Karna’s Kavach Kundal: जब भी महाभारत का जिक्र होता है तो दानवीर कर्ण का नाम जरूर आता है। कर्ण महाभारत काल के प्रमुख पात्रों में से एक हैं, जिनकी दानवीरता के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर हैं। आपको बता दें, कर्ण का जन्म माता कुंती और सूर्य की कोख से हुआ था। वो एक खास कवच और कुंडल लेकर पैदा हुए थे, जिसे पहनकर दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें हरा नहीं सकती थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो कुंडल और कवच आज कहां रखे हैं? कहा जाता है कि अगर ये किसी को मिल जाएं तो इंसान सर्वशक्तिमान बन सकता है। आइए इस लेख में आपको बताते हैं कि उनकी ये दो अहम चीजें कहां रखी हैं।

इंद्र से छीना था कवच

अगर कहानी की बात करें तो कुंती का विवाह पांडु से हुआ था, लेकिन कुंती के विवाह से पहले ही कर्ण का जन्म हो चुका था। कर्ण की खासियत यह थी कि वह कभी किसी को दान देने में हिचकिचाता नहीं था और इसी आदत के कारण महाभारत के युद्ध में उसकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि उसके पास जो कवच और कुंडल थे, उनसे दुनिया की कोई भी ताकत उसे हरा नहीं सकती थी। लेकिन अपने बेटे अर्जुन का साथ देने के लिए उसके पिता देवराज इंद्र ने छल से उसके कवच और कुंडल छीन लिए थे।

छल के साथ मांगा कवच

इंद्र ने योजना बनाई कि जब कर्ण सूर्य देव की पूजा कर रहा होगा तो वह भिक्षुक का वेश धारण कर उनसे उसके कवच और कुंडल मांग लेगा। सूर्य देव ने कर्ण को इस योजना के बारे में बताया, लेकिन तब भी कर्ण अपनी बात से पीछे नहीं हटा। आपको बता दें, कर्ण ने खुशी-खुशी ये दोनों चीजें इंद्र को सौंप दीं और फिर कृष्ण के आदेश पर अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया। और कवच और कुंडल न होने के कारण कर्ण की मृत्यु हो गई।

देवता कर रहे हैं रक्षा

कहा जाता है कि देवराज इंद्र को कर्ण के कवच और कुंडल लेकर स्वर्ग जाने की अनुमति नहीं थी क्योंकि उसने ये दोनों चीजें झूठ बोलकर हासिल की थीं। इसलिए उन्होंने इसे एक समुद्र के किनारे छिपा दिया, जिसके बाद चंद्र देव ने यह देखा और कवच और कुंडल लेकर भागने लगे। यह देखकर समुद्र देव ने उन्हें रोक दिया और तब से समुद्र और सूर्य देव इस कवच और कुंडल की रक्षा करते आ रहे हैं।

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यहां छिपी हैं दोनों चीजें

कहा जाता है कि यह कवच और कुंडल पुरी के पास कोणार्क में छिपे हुए हैं और यहां कोई नहीं पहुंच सकता। क्योंकि अगर किसी को यह कवच और कुंडल मिल जाए तो वह इसका फायदा उठा सकता है। आपको बता दें, कोणार्क एक ऐसी जगह है जहां आपको कई प्राचीन मंदिर मिलेंगे, जिनकी अपनी एक अलग कहानी है। आप यहां कार, ट्रेन और फ्लाइट जैसे किसी भी परिवहन के साधन से पहुंच सकते हैं।

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