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India News (इंडिया न्यूज), Draupadi Vastraharan: महाभारत के महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण घटना द्रौपदी का अपमान है, जो सभा के दौरान हुआ था। द्रौपदी, पांडवों की पत्नी, एक दिन कुरुक्षेत्र के राजा धृतराष्ट्र की सभा में अपने पति युधिष्ठिर के साथ बैठी थीं। उस समय सभा में दुर्योधन और उसके साथियों ने अपने घमंड और अहंकार में आकर द्रौपदी का अपमान करना शुरू कर दिया।
सभा में दुर्योधन और उसके साथी द्रौपदी को तिरस्कारित कर रहे थे। उन्होंने द्रौपदी को अपमानित करते हुए उसे कपड़े उतारने की धमकी दी। इस स्थिति में, सभा में उपस्थित सभी लोग चुप थे और कोई भी द्रौपदी के सम्मान की रक्षा के लिए आगे नहीं आया। सभा का माहौल तनावपूर्ण हो गया था और द्रौपदी के रोने की आवाज़ भी सभा में गूंज रही थी।
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तब, एक योद्धा और महान धर्मवीर भिष्म पितामह ने इस घिनौने कृत्य को सहन नहीं किया। भिष्म पितामह, जो सभा के सबसे प्रमुख और सम्मानित सदस्य थे, ने देखा कि द्रौपदी का अपमान हो रहा है और यह स्थिति किसी भी सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य है। उन्होंने तुरंत अपनी आवाज उठाई और सभा में सबको यह समझाया कि द्रौपदी का अपमान और उसकी स्थिति को सही नहीं ठहराया जा सकता।
भिष्म पितामह ने सभा में कहां, “सभी के सामने एक धर्मपत्नी का इस तरह अपमान होना समाज के लिए निंदनीय है। हम सबको अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए। अगर कोई धर्म और न्याय की रक्षा नहीं करता, तो फिर हमारा समाज कैसे सुरक्षित रहेगा?”
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भिष्म पितामह के शब्दों ने सभा में एक गंभीर प्रभाव डाला। उनकी बातें सुनकर सभा में कुछ सदस्यों को शर्म आई और उन्होंने द्रौपदी की स्थिति को सुधारने की कोशिश की। हालांकि द्रौपदी की स्थिति सुधारने में देर हो चुकी थी, लेकिन भिष्म पितामह की आवाज ने इस अपमानजनक स्थिति को उजागर किया और एक नई दिशा दी।
इस प्रकार, भिष्म पितामह ने सभा में अपने धर्म और नैतिकता की रक्षा करते हुए द्रौपदी के सम्मान के लिए आवाज उठाई और इस घटना ने समाज में धर्म और न्याय की महत्वपूर्णता को फिर से रेखांकित किया।
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