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India News (इंडिया न्यूज), Dushala In Mahabharata: महाभारत के युद्ध को जो लोग जानते हैं। वह यह भी जानते हैं की कौरव 100 भाई थे लेकिन काफी कम लोगों को यह ज्ञान है कि उनकी एक बहन भी थी। कुल मिलाकर गांधारी और धृतराष्ट्र के 101 बच्चे थे। जिनमें से 100 भाई और एक बहन थी और उसे बहन का नाम दुशाला था।
महाभारत के अंदर रचित नाम में दुशाला का नाम भी सामने आता है। वह महाराज धृतराष्ट्र की इकलौती बेटी थी और उनका विवाह सिंधु और सुवेरा के राजा जयद्रध से हुआ था। वही कहानियों के अनुसार बताया जाता है कि महाभारत की युद्ध में उनके पति की मौत हो गई थी और उन्होंने बाकी जीवन विधवा के तौर पर बिताया था।
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वही मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है कि महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद अर्जुन द्वारा अश्वमेध यज्ञ रखा गया था। यज्ञ करने और ब्राह्मणों को खुश करने के लिए धन की आवश्यकता थी। ऐसे में जब घोड़ा सिंधु के राज्य में पहुंच गया तो सिंधु के राजाओं ने घोड़े को पकड़ लिया। ऐसे में अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा गया था।
जयद्रथ के पुत्र सूरदा युद्ध के मैदान में अर्जुन के सामने आ गए। वह अपने पिता की हत्या का बदला लेना चाहते थे। अर्जुन ने उन्हें युद्ध रोकने की सलाह दी लेकिन वह हिले भी नहीं जिसके बाद अर्जुन को बाढ़ चलाने पड़े। Dushala In Mahabharata
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इसके बाद दुशाला अपने सबसे छोटे पोते के साथ वहां पहुंची और अर्जुन के सामने लड़ाई रोकने की गुहार लगाने लगी। उन्होंने बताया कि उनके बेटे और उनके भावी बच्चे के पिता सूरधा यह सुनकर मर गए की अर्जुन एक अश्वमेध घोड़े के साथ आ रहा है। ऐसे में अपने पिता को खोने की वजह से वह काफी दुखी है। जिस वजह से उसने यह चीज की।
इसके अलावा दुशाला ने अपने भाई से कहा कि दादा ने पांडवों के साथ गलत किया है। लड़का निर्दोष है और युद्ध को अब कम से काम रोक दिया जाना चाहिए। यह सब सुनने के बाद अर्जुन ने अपनी बहन को गले लगा लिया। उसे सातवना दी और युद्ध को रोक दिया और बाकी राज्यों के लिए रवाना हो गए।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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