India News (इंडिया न्यूज), Kripacharya In Mahabharat: महाभारत की कई किस्से-कहानियां हम बचपन से सुनते हुए आ रहे हैं कुछ तो ऐसी भी हैं जो आज भी हमारी दृष्टि से दूर हैं तो वही महाभारत की कथा में एक ऐसी भी दिलचस्प और रोमांचक प्रसंग है जो पांडवों की कठिनाइयों और उनकी साहसिकता को दर्शाता है। जी हाँ! महाभारत का काल का एक बेहद ही अहम पात्र कृपाचार्य जो महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं,
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लेकिन उनकी भूमिका पांडव पुत्रों की मृत्यु की साजिश रचने में नहीं थी। कृपाचार्य का वास्तविक नाम कृपाचार्य था और वे एक महान ब्राह्मण ऋषि थे जो कौरवों और पांडवों के गुरु और सलाहकार थे।
महाभारत में, कृपाचार्य की भूमिका मुख्य रूप से एक शिक्षक और मार्गदर्शक के रूप में होती है। वे कौरवों और पांडवों के युद्ध के समय भी एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे, लेकिन उनकी भूमिका साजिश या धोखाधड़ी में नहीं रही।
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पांडव पुत्र द्रुपद की मृत्यु के लिए साजिश की जिम्मेदारी दुर्योधन और उसके सहयोगियों पर डालनी जाती है, विशेष रूप से उनके द्वारा आयोजित लकड़ी के महल (लक्षागृह) की घटना में। इस घटना में, दुर्योधन और उसके साथी पांडवों को जलाने की कोशिश करते हैं, जो कि पांडवों की मृत्यु की एक प्रमुख साजिश थी। इस प्रकार, कृपाचार्य का पांडवों की मृत्यु की साजिश से कोई सीधा संबंध नहीं था; वे महाभारत के धार्मिक और नैतिक पहलुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रमुख पात्र थे।
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