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(इंडिया न्यूज, Why Crows are so important in Pitru Paksha): हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का अधिक महत्व है। धार्मिक पुराणों के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो वह पितृदेव का रूप धारण करता है और अपने वंशजों की रक्षा करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में पैतृक देवताओं का आह्वान किया जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का पिंडदान किया जाता है और यह सप्ताह पितृ पक्ष का चल रहा है।
कहा जाता है कि पितृ पक्ष में अपने पूर्वजो का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु कौवे को खिलाने की प्रथा है। ऐसा माना जाता कि जबतक कौआ भोजन को छूता नहीं है, तो वह भोजन पितरों तक नहीं पहुँचता नहीं है। बता दें कि, पितरों का पिंडदान पितृ पक्ष के अलावा कभी भी किया जा सकता है। लेकिन इसका सबसे ज्यादा पितृ पक्ष में किया गया पिंडदान में अधिक महत्व रखता है।
पितृ पक्ष में पिंडदान के बाद कौवे को प्रसाद चढ़ाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कौवे को मृत्यु के देवता यमराज का दूत माना जाता है। इस वजह से कौवे को प्रसाद चढ़ाने और कौवे के द्वारा प्रसाद छूने से पितरों तक पहुंचने की मान्यता है।
एक किंवदंती के अनुसार
इंद्रपुत्र जयंत ने एक बार एक कौवे का रूप धारण किया उसके बाद उस कौवे ने माता सीता का पैर घायल कर दिया। इससे भगवान राम क्रोधित हो गए और उन्होंने कौवे की आँख फोड़ने के लिए ब्रह्मास्त्र निकाला। तब जयंत ने भगवान राम से क्षमा मांगी। तब भगवान राम ने उसे क्षमा कर दिया और वरदान दिया। श्री राम ने जयंत से कहा कि किसी के द्वारा आपको दिया गया भोजन उनके पूर्वजों तक पहुंच जाएगा। इसलिए कौवे को खाना खिलाना बहुत ही शुभ कार्य माना जाता है। एक धार्मिक मान्यता है कि कौवे द्वारा ग्रहण किया गया भोजन पितरों तक पहुंचता है और वे संतुष्ट होकर अपना आशीर्वाद देते हैं। साथ ही अगर में कौआ भोग लेकर गाय की पीठ पर अपनी चोंच रगड़ता है तो ऐसा माना जाता है कि आपका काम पूरा होगा।
इसी वजह से कौवे का पितृ पक्ष में अधिक महत्व हैं. यही कारण है कि पितृ पक्ष में कौवे को भोजन दिया जाता है।
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