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पति की गलती की वजह से महाभारत की इस स्त्री ने खुद को लगाई थी आग, जाने जंगल में ऐसा क्या हुआ कि ऋषि ने ले ली थी राजा की जान?

PUBLISHED BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : October 15, 2024, 10:00 am IST
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पति की गलती की वजह से महाभारत की इस स्त्री ने खुद को लगाई थी आग, जाने जंगल में ऐसा क्या हुआ कि ऋषि ने ले ली थी राजा की जान?

Madri In Mahabharat: माद्री की कहानी महाभारत के उस पहलू को सामने लाती है, जो अक्सर अनदेखा रह जाता है। उनके जीवन का दुखद अंत यह दिखाता है कि कैसे त्रासदी और धर्म संघर्ष की दुनिया में, उन्होंने अपनी भूमिका को पूरी गरिमा के साथ निभाया।

India News (इंडिया न्यूज), Madri In Mahabharat: महाभारत में पांडवों की माता कुंती के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन पांडवों की एक और मां भी थीं, जिनका नाम माद्री था। महाभारत की इस महत्वपूर्ण पात्र के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, जबकि उनकी भूमिका भी पांडवों के जीवन में कुंती जितनी ही महत्वपूर्ण रही। माद्री, राजा पांडु की दूसरी पत्नी थीं, और उनके पुत्र नकुल और सहदेव महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे।

माद्री का परिचय और राजा पांडु से विवाह

माद्री मद्र देश की राजकुमारी थीं और उनके भाई राजा शल्य थे। महाभारत के अनुसार, जब हस्तिनापुर के राजा पांडु दिग्विजय यात्रा पर निकले, तो उन्होंने कई राज्यों को जीत लिया। इसी दौरान, जब वे मद्र देश पहुंचे, तो राजा शल्य ने मित्रवत उनका स्वागत किया और उनसे संधि कर ली। राजा शल्य ने अपनी बहन माद्री का विवाह भी पांडु से करवा दिया। इस तरह माद्री हस्तिनापुर की महारानी बनीं और कुंती के साथ राजा पांडु की दूसरी पत्नी के रूप में राजमहल में रहने लगीं।

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पांडु को मिला श्राप और वनवास का निर्णय

राजा पांडु का जीवन एक दुखद मोड़ तब आया जब उन्होंने एक दिन शिकार के दौरान ऋषि किंदम और उनकी पत्नी को हिरण के रूप में सहवास करते हुए मार डाला। मरने से पहले ऋषि ने राजा पांडु को श्राप दिया कि जब भी वे अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध स्थापित करेंगे, उनकी मृत्यु हो जाएगी। इस श्राप ने राजा पांडु को गहरे अपराधबोध से भर दिया और उन्होंने अपना राज्य त्याग दिया। इसके बाद वे अपनी दोनों पत्नियों, कुंती और माद्री के साथ वनवास में रहने चले गए।

नकुल और सहदेव का जन्म

राजा पांडु के मन में यह चिंता होने लगी कि पुत्रहीन होने से उनकी मृत्यु के बाद उन्हें सद्गति नहीं मिलेगी। जब उन्होंने अपनी यह चिंता कुंती से साझा की, तो कुंती ने एक विशेष मंत्र के माध्यम से देवताओं का आवाहन कर युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन को जन्म दिया। इसके बाद कुंती ने माद्री को भी यह मंत्र दिया, और माद्री ने अश्विनीकुमारों का आवाहन किया, जिससे उनके पुत्र नकुल और सहदेव का जन्म हुआ। नकुल और सहदेव, पांडवों के सबसे छोटे भाई थे, और अपने साहस और धैर्य के लिए प्रसिद्ध हुए।

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माद्री की मृत्यु

माद्री का जीवन दुखद तरीके से समाप्त हुआ। एक दिन जब वे और राजा पांडु वन में अकेले थे, राजा पांडु के मन में कामवासना जाग्रत हो गई। माद्री ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन राजा पांडु अपने मनोविकार पर काबू नहीं रख सके। ऋषि किंदम के श्राप के कारण, जैसे ही राजा पांडु ने माद्री के साथ संबंध स्थापित करने का प्रयास किया, उनकी तुरंत मृत्यु हो गई। इस घटना से माद्री भी अत्यंत दुखी हुईं और उन्होंने अपने पुत्र नकुल और सहदेव को कुंती की देखरेख में सौंप दिया। राजा पांडु के शव के साथ सती होकर माद्री ने अपना जीवन समाप्त कर लिया।

माद्री की महाभारत में भूमिका

माद्री की भूमिका महाभारत के समृद्ध और जटिल कथानक में महत्वपूर्ण रही। उन्होंने नकुल और सहदेव को जन्म देकर पांडवों की संख्या पूरी की और उनके दोनों पुत्र अपने अद्भुत गुणों और निष्ठा के लिए प्रसिद्ध हुए। माद्री की मृत्यु और उनके त्याग की कहानी एक और उदाहरण है कि कैसे महाभारत की महिलाएं अपने परिवार और धर्म के प्रति समर्पित थीं, और विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने उच्च नैतिक मूल्यों को बनाए रखा।

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माद्री की कहानी महाभारत के उस पहलू को सामने लाती है, जो अक्सर अनदेखा रह जाता है। उनके जीवन का दुखद अंत यह दिखाता है कि कैसे त्रासदी और धर्म संघर्ष की दुनिया में, उन्होंने अपनी भूमिका को पूरी गरिमा के साथ निभाया।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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