होम / क्यों कम उम्र में ही हो जाती हैं व्यक्ति की मौत… मृत्यु के इस रहस्य से जुड़ी हर एक बात का जवाब देगा गरुण पुराण!

क्यों कम उम्र में ही हो जाती हैं व्यक्ति की मौत… मृत्यु के इस रहस्य से जुड़ी हर एक बात का जवाब देगा गरुण पुराण!

Prachi Jain • LAST UPDATED : September 23, 2024, 5:11 pm IST

Mrityu & Garun Puran: जो ब्राह्मण श्रद्धाहीन, नास्तिक और असत्यवादी होते हैं, उन्हें अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है।

India News (इंडिया न्यूज), Mrityu & Garun Puran: गरुड़ पुराण में बताया गया है कि कलयुग में मनुष्यों की आयु सौ वर्ष निर्धारित है, लेकिन आजकल हम देखते हैं कि कई लोग कम उम्र में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इसके पीछे कई कारण बताए गए हैं, जिनमें मुख्य रूप से गलत कर्म शामिल हैं। आइए, समझते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार अकाल मृत्यु का क्या कारण है और इसके बाद आत्मा का क्या होता है।

अकाल मृत्यु के कारण

गरुड़ पुराण के अनुसार, अकाल मृत्यु से तात्पर्य है वह मृत्यु जो सामान्य जीवनकाल पूरा करने से पहले होती है, जैसे दुर्घटनाएँ, बीमारियाँ या हत्या। पंडितों के अनुसार, निम्नलिखित कारणों से मनुष्यों को अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है:

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  1. ब्राह्मणों के दोष:
    • जो ब्राह्मण श्रद्धाहीन, नास्तिक और असत्यवादी होते हैं, उन्हें अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है।
    • जो लोग विधि और शास्त्रों का पालन नहीं करते, उनका जीवनकाल कम होता है।
  2. क्षत्रिय के दोष:
    • जो क्षत्रिय प्रजा की रक्षा नहीं करते, धर्माचरण से हीन होते हैं और क्रूर होते हैं, उन्हें भी अकाल मृत्यु मिलती है।
    • ऐसे लोग यमराज के पास जाते हैं और यम यातना का सामना करते हैं।
  3. वैश्य और शूद्र के दोष:
    • वैश्य यदि अपने व्यवसाय का पालन न करें और शूद्र यदि द्विज की सेवा न करें, तो उन्हें भी अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है।

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आत्मा का क्या होता है?

गरुड़ पुराण के अनुसार, अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है, यह भी महत्वपूर्ण है:

  • महापाप का भागीदार: अकाल मृत्यु प्राप्त करने वाला व्यक्ति महापाप का भागीदार माना जाता है और उसकी आत्मा जीवन चक्र पूरा नहीं कर पाने के कारण स्वर्ग या नरक में स्थान नहीं पाती।
  • आत्मा की योनियाँ:
    • यदि पुरुष अकाल मृत्यु को प्राप्त करता है, तो उसकी आत्मा भूत, प्रेत या पिशाच योनि में भटकती रहती है।
    • शादीशुदा स्त्री की अकाल मृत्यु होने पर उसकी आत्मा चुड़ैल की योनि में भटकती है।
    • कुंवारी स्त्री की अकाल मृत्यु के बाद उसकी आत्मा देवी योनि में जाती है।

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निष्कर्ष

गरुड़ पुराण में दी गई शिक्षाएँ हमें यह समझाती हैं कि हमारे कर्मों का प्रभाव हमारे जीवन और मृत्यु पर पड़ता है। सही आचरण और धर्म का पालन करना हमारे जीवन के लिए आवश्यक है, ताकि हम अकाल मृत्यु से बच सकें और अपनी आत्मा को उचित स्थान प्राप्त करवा सकें। इस प्रकार, हमें अपने कर्मों के प्रति जागरूक रहना चाहिए, जिससे हम एक सुखद और पूर्ण जीवन जी सकें।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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